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नई दिल्ली। साहित्य अकादेमी द्वारा आज डोगरी और हिंदी की प्रख्यात लेखिका, कवयित्री और अनुवादिका पद्मा सचदेव के जीवन एवं साहित्यिक योगदान पर केंद्रित एक विशेष परिसंवाद का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम साहित्य अकादेमी के तृतीय तल स्थित सभागार में संपन्न हुआ, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से साहित्यप्रेमी और विद्वान बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
अतिथियों का सम्मान और उद्घाटन सत्र
कार्यक्रम का शुभारंभ अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव के स्वागत वक्तव्य से हुआ। उन्होंने अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्रम् भेंट कर किया और कहा, “पद्मा सचदेव भारतीय साहित्य की प्रबल प्रतिनिधि थीं। उनका स्नेह और आशीर्वाद हमेशा हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है।” उन्होंने पद्मा जी की साहित्यिक यात्रा, संघर्ष और उपलब्धियों को विस्तार से रेखांकित किया।
डोगरी साहित्य के उत्थान में पद्मा जी का योगदान
डोगरी परामर्श मंडल के संयोजक मोहन सिंह ने पद्मा सचदेव के बहुमुखी व्यक्तित्व और उनकी रचनात्मकता पर प्रकाश डालते हुए कहा, “डोगरी और पद्मा सचदेव एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं। उन्होंने डोगरी भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए ऐतिहासिक संघर्ष किया।”
बीज वक्तव्य देते हुए विजय वर्मा ने पद्मा जी के स्नेहिल और प्रेरणादायक व्यक्तित्व को याद किया। उन्होंने कहा, “भारतीय साहित्य की महान स्त्री रचनाकारों में पद्मा सचदेव का नाम हमेशा सम्मान के साथ लिया जाएगा। उन्होंने डोगरी भाषा और संस्कृति को देश-विदेश तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।”
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता
डोगरी के प्रख्यात लेखक ओम गोस्वामी ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा, “पद्मा सचदेव डोगरी साहित्याकाश की ध्रुवतारा थीं। उन्हें डोगरी की ललद्यद और हब्बा खातून जैसी उपाधियों से सम्मानित किया गया है। उनके लेखन में तत्कालीन समाज, राजनीति और जीवन की झलक सशक्त रूप से दिखाई देती है।”
विभिन्न सत्रों में विद्वानों के विचार
पहले सत्र की अध्यक्षता नीलम सरीन ने की। इस सत्र में सरिता खजूरिया ने ‘पद्मा सचदेव की कविता’ पर और सुषमा चौधरी ने ‘पद्मा सचदेव की कहानियाँ और उपन्यास’ पर आलेख प्रस्तुत किए।
दूसरे सत्र की अध्यक्षता शिवदेव सुशील ने की। इस सत्र में सुषमा रानी राजपूत ने ‘पद्मा सचदेव का हिंदी साहित्य को योगदान’ विषय पर और खजूर सिंह ठाकुर ने ‘पद्मा सचदेव का डोगरी साहित्य को योगदान’ पर विचार रखे।
कार्यक्रम का संचालन और समापन
कार्यक्रम का संचालन तथा धन्यवाद ज्ञापन साहित्य अकादेमी के संपादक (हिंदी) अनुपम तिवारी ने किया। कार्यक्रम में साहित्य प्रेमियों और विद्वानों ने पद्मा सचदेव के विराट साहित्यिक अवदान को नमन किया और उनकी स्मृतियों को साझा किया। -भूपिंदर सिंह
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