धर्म/समाजमेरे अलफ़ाज़/कविता

राम: एक अद्वितीय आदर्श

कविताओं के रंग, दामिनी के संग

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रामनवमी विशेष- सिया के राम
सीता को छोड़कर तो
राम अयोध्या भी नहीं आए थे,
सिंहासन छोड़ने पर नहीं,
राम ने सिया-वियोग में आंसू बहाए थे,
पुत्र पिता भाई और राजा,
हर रूप में आदर्श निभाए थे,
जो सब-कुछ सहे,
वही थी सिया,
उसी संगिनी के संग राम
मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए थे,
जब धरा जगत में मनुज-तन,
तब भगवान भी भगवान
नहीं रह पाए थे,
जीवन की मर्यादा से जुड़े
सारे कर्तव्य निभाए थे,
जब दुनिया में रहना होता है,
दुनिया का बनना पड़ता है,
ये बात तो राम तक भूले नहीं,
हम ही याद नहीं रख पाए थे,
जब घर में सजता राम दरबार,
तब पाता विश्वास आधार,
जिस मन में बसता राम नाम,
वहां नफ़रत द्वेष का कैसा काम,
तुम राम को मानते हो तो
राम की भी मानो,
कौन हैं राम क्या हैं राम,
जानो समझो मानो अपना लो…
@ दामिनी यादव
 
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