ऑपरेशन सिंधु: तीन देशों ने दिया साथ,अब तक 1400 से ज्यादा लोगों का रेस्क्यू, जानें क्या है भारत की बैलेंस्ड डिप्लोमेसी
ऑपरेशन सिंधु सिर्फ रेस्क्यू अभियान नहीं, भारत की एक चालाक कूटनीति भी है
👆भाषा ऊपर से चेंज करें
इजराइल और ईरान के बीच तनाव अपने चरम पर है। इसी बीच भारत ने अपने नागरिकों को बचाने के लिए ऑपरेशन सिंधु शुरू किया है। भारत ने अब तक ईरान और इजराइल से अपने 1400 से ज्यादा नागरिकों को सुरक्षित निकाल लिया है। हालांकि, यह सिर्फ एक रेस्क्यू मिशन नहीं है, इसमें एक शांत लेकिन साफ संदेश भी छुपा है ।
स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज के पास से रेस्क्यू किए गए भारतीय
भारत ने इस ऑपरेशन को बड़ी सावधानी से अंजाम दिया। जिन क्षेत्रों से लोगों को निकाला गया, वे स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज के करीब हैं। ये वही समुद्री रूट है जहां से दुनिया का 30% तेल गुजरता है। यह क्षेत्र अब एक रणनीतिक फ्लैशपॉइंट बना हुआ है। अमेरिका की ओर से किए गए हमले के बाद ईरान ने इस समुद्री रूट को बंद कर दिया है। नतीजन क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी देखी जा रही है।
ईरान और इजराइल दोनों को एक साथ साधा
भारत ने ईरान और इजराइल — दोनों से बातचीत कर रेस्क्यू की सहमति ली। न कोई बयान दिया, न किसी पक्ष को नाराज किया। यही भारत की बैलेंस्ड डिप्लोमेसी है, जो अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों से अलग दिखती है। भारत ने युद्ध में घिरे दो देशों को एक साथ साधा वो भी ऐसे समय में जब मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ता ही जा रहा है।
UAE और ओमान ने भी लॉजिस्टिक सपोर्ट दिया
सूत्रों के मुताबिक, भारतीय वायुसेना के C-17 विमान ने पहले दुबई में टैक्निकल स्टॉप किया। वहां से ईरान की राजधानी तेहरान गया, और फिर दिल्ली पहुंचा। इस दौरान UAE और ओमान ने भी लॉजिस्टिक सपोर्ट दिया भारतीयों को रेस्क्यू करने के लिए एक पूरा इंटरनेशनल ट्रांजिट या रेस्क्यू रूट तैयार किया गया। इसके बाद बेहद साढ़े ढंग से सभी को भारत वाला के आया गया।
विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया रविवार को ईरान से 311 भारतीयों के सुरक्षित वापस लौटने के बाद कहा कि हमने सिर्फ अपने लोगों को नहीं बचाया, हमने यह भी दिखाया कि हम क्षेत्र में संकट से निपटने की काबिलियत रखता है।
अब तक रेस्क्यू किए गए 1400 से ज्यादा लोग
22 को ऑपरेशन सिंधु के तहत ईरान के मशहद से 311 भारतीय नागरिक दिल्ली पहुंचे। इसके साथ ही बीते पांच दिनों में भारत ने ईरान के अलग-अलग इलाकों से कुल 1,428 नागरिकों को सुरक्षित निकाला है। इस मिशन की शुरुआत 18 जून को हुई थी, जब उर्मिया से 110 भारतीय छात्रों को आर्मीनिया होते हुए दिल्ली लाया गया। 20 और 21 जून को मशहद और अश्गाबात से क्रमशः 290 और 517 लोगों की वापसी हुई। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, इनमें अधिकतर छात्र, कामगार और टूरिज्म सेक्टर से जुड़े लोग हैं जो इजराइल-ईरान तनाव के कारण फंसे थे। भारत ने न सिर्फ अपने नागरिकों को निकाला, बल्कि नेपाल और श्रीलंका के कुछ लोगों की मदद का प्रस्ताव भी दिया है। ऑपरेशन सिंधु अब सिर्फ एक राहत मिशन नहीं, बल्कि भारत की संवेदनशील और रणनीतिक विदेश नीति का उदाहरण बन चुका है।
भारत पहले भी कर चुका है ऐसे मिशन
गौरतलब है कि भारत ग्लोबल साउथ में अपने प्रभाव को मज़बूत कर रहा है। साइलेंट रेस्क्यू मिशन इसके लिए एक मजबूत माध्यम बनता जा रहा है। 2023 में भी सूडान संकट के दौरान भारत ने ऑपरेशन कावेरी चलाया था, जिसमें 3,800 से ज्यादा लोगों को निकाला गया। अब ऑपरेशन सिंधु इस लाइन में नया उदाहरण बन गया है। भारत ने बिना किसी हो-हल्ला के अपनी रणनीतिक सूझबूझ दिखाई है।





