आपातकाल की वर्षगांठ पर संविधान की हत्या? DSGMC चुनाव पर विपक्ष का हमला
दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमेटी चुनाव 2025: शिरोमणि अकाली दल ने किया बहिष्कार, बताया अवैध

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दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (DSGMC) के कार्यकारिणी चुनावों को लेकर आज बड़ा बवाल देखने को मिला। शिरोमणी अकाली दल (परंपरागत) से संबंधित सदस्यों ने इन चुनावों का बहिष्कार किया और पूरी चुनाव प्रक्रिया को “अवैध” बताते हुए इसे “सरकार प्रायोजित तमाशा” करार दिया।
पूर्व कमेटी अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना और वरिष्ठ नेता मनजीत सिंह जीके ने मीडिया से बातचीत में गंभीर आरोप लगाए। सरना ने दावा किया कि उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय को ज्ञापन सौंपा है जिसमें दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा और सांसद प्रवेश वर्मा पर गुरुद्वारा प्रशासन में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया गया है।
राजनीतिक नियंत्रण के लिए हो रहा चुनाव: सरना
सरना ने कहा कि यह चुनाव पंथ की सेवा के उद्देश्य से नहीं बल्कि दिल्ली कमेटी पर राजनीतिक कब्ज़ा जमाने के लिए रची गई एक धोखाधड़ी प्रक्रिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले तीन वर्षों से पारंपरिक अकाली दल को कमजोर करने के लिए एक सुनियोजित साजिश रची जा रही है।
सिरसा परिवार पर गंभीर आरोप
सरना ने मनजिंदर सिंह सिरसा और उनके परिवार पर दिल्ली कमेटी के संसाधनों की खुलेआम लूट का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी दावा किया कि जल्द ही यह लूट खुलकर सामने आएगी।
उन्होंने कहा, “बिकाऊ लोगों को किनारे कर दिया गया है। चुनाव में उन्हें कोई तवज्जो नहीं दी गई।”
मनजीत सिंह जीके का हमला: “लिफाफा कहां से आया?”
अकाली नेता मनजीत सिंह जीके ने भी नई कार्यकारिणी पर सवाल उठाए और कहा कि एक तरफ सरकार आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर “संविधान हत्या दिवस” मना रही है, वहीं दूसरी ओर दिल्ली कमेटी के संविधान की मूल भावना की हत्या कर रही है। इसी कारण उनके समर्थक सदस्यों ने जनरल हाउस की बैठक का बहिष्कार किया।
कालका और काहलों को लेकर आपत्ति
कमेटी सदस्यों सुरिंदर सिंह दारा और महिंदर सिंह, जिन्हें दिल्ली हाईकोर्ट ने वोटिंग का अधिकार दिया था, बैठक में पहुंचे। वहां उन्होंने गुरुद्वारा चुनाव निदेशक को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें हरमीत सिंह कालका और जगदीप सिंह काहलों को चुनाव में भाग लेने से रोकने की मांग की गई।
उनका तर्क था कि कालका और काहलों दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा गुरु हरकृष्ण पब्लिक स्कूल्स के कर्मचारियों के बकाया वेतन मामले में अवमानना के दोषी हैं, इसलिए वे कमेटी एक्ट के तहत चुनाव लड़ने के पात्र नहीं हैं।
हाईकोर्ट के आदेश की अनदेखी और सरकारी दबाव का आरोप
सरना और जीके ने यह भी आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने न केवल दोषियों को पदाधिकारी बनाया, बल्कि हाईकोर्ट के आम चुनाव करवाने के आदेश की भी अवहेलना की है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी एजेंसियों और मशीनरी का दुरुपयोग कर चुनाव को एकतरफा बनाया गया है और ईडी जैसी संस्थाओं का डर दिखाकर विपक्ष को डराया गया।
इस विरोध प्रदर्शन और बहिष्कार के दौरान बड़ी संख्या में अकाली नेता और कमेटी सदस्य मौजूद रहे।


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