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वह मुख्यमंत्री पद छोड़ना चाहते हैं, लेकिन यह पद उन्हें छोड़ नहीं रहा है -अशोक गहलोत

राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने प्रदेश में विधायकों की टिकट कटने पर कहा कि "पहली बात तो टिकट तब कटता है जब वहां विकल्प हो

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राजस्थान विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद प्रदेश में सियासत तेज हो गई है। वंही प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आज गुरुवार को दिल्ली दौरे पर थे। उन्होंने कांग्रेस के मुख्यालय में प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि “वह मुख्यमंत्री पद छोड़ना चाहते हैं, लेकिन यह पद उन्हें छोड़ नहीं रहा है”
     राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने प्रदेश में विधायकों की टिकट कटने पर कहा कि “पहली बात तो टिकट तब कटता है जब वहां विकल्प हो। विपक्ष का काम है, करप्शन हुआ है, एंटी इनकमबेंसी बताता है। लेकिन यहां तो चुनी हुई सरकार को होर्स टेडिंग कर गिराने का काम हुआ। मेरे विधायकों को 10 करोड़ का ऑफर था लेकिन फिर भी उन्होंने साथ निभाया। जनता ने फोन कर विधायकों को, मुझे फोन कर कहा चाहे होटल में 40 दिन रुके रहो लेकिन सरकार गिरनी नहीं चाहिए। यदि विधायक करप्ट होते तो 10 करोड़ रुपए बहुत होते हैं, सरकार गिर जाती हमारी।”
     प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आगे कहा कि टिकट देने और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर बोलते हुए कहा कि “अगर हमारे पास किसी उम्मीदवार का विकल्प होगा तो ही हम किसी की टिकट बदलेंगे। टिकट तभी बदले या काटे जाएंगे जब कोई बेहतर विकल्प होगा। मेरी बात को विपक्ष ने मुद्दा बनाया, मेरा केवल यह कहना था कि कैलाश मेघवाल और वसुंधरा राजे लोकतंत्र विरोधी नहीं है। जिसके पता नहीं क्या-क्या मतलब निकाले गए।”
     कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने बीजेपी की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे के बारे बोलते हुए कहा कि “मैं कहना चाहूंगा कि मेरी वजह से वसुंधरा को सजा नहीं मिलनी चाहिए. अगर ऐसा होता है तो यह उसके साथ अन्याय होगा। इससे पहले मई में गहलोत ने धौलपुर में कहा था कि वह 2020 में कांग्रेस विधायकों के विद्रोह से बच गए, क्योंकि बीजेपी नेता वसुंधरा राजे और कैलाश मेघवाल ने धन बल के माध्यम से उनकी सरकार को गिराने की साजिश का समर्थन नहीं किया था।”
     जानकारी के लिए बता दें कि बुधवार को कांग्रेस पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई और फिर खबर आई कि कुछ नामों पर मतभेद हैं। ऐसी चर्चा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिन लोगों को टिकट दिलाना चाह रहे थे, इनमें से कुछ नामों पर हाईकमान यानि कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी को आपत्ति है। जिन नामों की चर्चा है उनमें प्रदेश सरकार में मंत्री शांतिलाल धारीवाल, जैसे नेताओं के नाम शामिल हैं। जो सरकार पर आए संकट के समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में खुलकर सामने आए थे। ये विधायक तब कांग्रेस हाईकमान को लेकर अलग अलग टिप्पणी कर रहे थे।
     खबरों के मुताबिक प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत फिर से अपने सभी मंत्रियों को टिकट दिलाने के पक्ष में है। वह यह भी चाहते हैं कि पार्टी 2019 में कांग्रेस में शामिल हुए सभी 6 पूर्व बसपा विधायकों के साथ-साथ निर्दलीय विधायकों को भी मैदान में उतारे। लेकिन कांग्रेस नेतृत्व उन लोगों को टिकट देने से इंकार कर रहा है।
-ओम कुमार
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