भारत रंग महोत्सव: साहित्यिक उत्कृष्टता का महासागर
महोत्सव के छठे दिन ऊपरी वर्ग द्वारा अनदेखा और अपमानित किया जाने वाले निम्न वर्ग के लोगों के जीवन को समझने का एक अद्वितीय दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया

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राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) ने भारत रंग महोत्सव का 25वां वर्ष आयोजित किया, जो उत्कृष्टता के रंगीन समर्पण को मनोरंजन और संवाद के माध्यम से प्रस्तुत करता है। महोत्सव के छठे दिन, आमतौर पर ऊपरी वर्ग द्वारा अनदेखा और अपमानित किया जाने वाले निम्न वर्ग के लोगों के जीवन को समझने का एक अद्वितीय दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया था।
मुख्य आकर्षण थे ‘ई केल्गिनावरु’ और ‘स्वांग कृष्णा’
ई केल्गिनावरु’, नाटक में, लक्कप्पा नामक एक पर्यटक एक गंभीर वास्तविकता को सामना करता है। उसका आगमन एक झोपड़ी में सपनों और सवालों को जागृत करता है। लक्कप्पा अपने अनुभवों से उसके निवासियों को सांत्वना देता है और उन्हें बेहतर जीवन और समृद्धि की दिशा में मार्गदर्शन करता है।

नाटक ने पीढ़ी के बीच अन्तर को संवारने और किसी संभावित पीढ़ी टूटने को रोकने की महत्ता को प्रमुखता से दिखाया है।
‘ई केलगिनावरु’ में सामाजिक संदेश है कि जीवन में संघर्ष के बावजूद हमें हार मानने की जगह, सपनों की खोज करनी चाहिए। नाटक उन लोगों के मन में जो उदासी और निराशा से भरे हैं, एक नई उम्मीद की किरण देता है।
नाटक ‘ई केलगिनावरु’ का संदेश है कि जीवन में हमें हमेशा सपनों और आस्था की ओर आगे बढ़ना चाहिए। हर मुश्किल से लड़ते हुए भी, हमें उन सपनों की खोज करनी चाहिए जो हमारे लिए सच्चे खुशियों का स्रोत बनते हैं।
इस नाटक के माध्यम से, हम समाज में गंभीरता के साथ उत्थान की ओर अपने कदम बढ़ाने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं। यह हमें सपनों के महत्व को समझने और उन्हें हासिल करने के लिए प्रेरित करता है। नाटक ‘ई केलगिनावरु’ हमें समाज की स्थिति को समझने और उसमें सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए हमारी जिम्मेदारी को समझाता है।
‘स्वांग कृष्णा’
वहीं दूसरी ओर, ‘स्वांग कृष्णा’ ने महाभारत की प्राचीन कथा को स्वांग शैली में प्रस्तुत किया, जो नैतिक और दार्शनिक विषयों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह नाटक भगवान कृष्ण की शिक्षाएं हैं, जो भगवद गीता के ज्ञान को संक्षेप में प्रस्तुत करती हैं।

‘स्वांग कृष्णा’ एक अत्यंत प्रेरणादायक नाटक है जो महाभारत की कथा को पारंपरिक स्वांग शैली में प्रस्तुत करता है। नाटक में दिखाया गया है कि कैसे धर्म और न्याय के लिए संघर्ष करते हुए धर्मयुद्ध में पांडवों ने धर्म की रक्षा की।
नाटक में, पांडवों के नेता युधिष्ठिर के साथ भगवान कृष्ण के उपदेशों के माध्यम से जीवन के नैतिक मूल्यों पर बल दिया जाता है। नाटक की कहानी में, भगवान कृष्ण अर्जुन को गीता उपदेश देते हैं, जिससे उन्हें अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित होने की महत्वपूर्णता समझाई जाती है।
‘स्वांग कृष्णा’ का सामाजिक संदेश है कि धर्म और न्याय के लिए संघर्ष करना हमारा कर्तव्य है। नाटक बताता है कि हमें सच्चे मानवता और न्याय के लिए संघर्ष करते हुए धर्म योद्धा बनने की आवश्यकता है। हमें धर्म, न्याय, और सत्य की महत्वपूर्णता को समझाता है। यह हमें धार्मिक और नैतिक मूल्यों के प्रति समर्पित होने के लिए प्रेरित करता है। नाटक के माध्यम से, हमें समाज के उत्थान और विकास के लिए सक्रिय भागीदार बनने की प्रेरणा प्राप्त होती है।
इस सांस्कृतिक प्रदर्शन के अलावा, आज NSD छात्र संघ के ‘अद्वितीय’ के तीसरे दिन में, अन्य कॉलेजों ने भी अपनी कला को उजागर किया। ‘नुक्कड़ नाटक’ के माध्यम से समाज के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा की गई।
हंसराज कॉलेज का नाटक
हंसराज कॉलेज ने एक नाटक प्रस्तुत किया जो माता-पिता और बच्चों के संबंधों को जांचता है।
यह नाटक दिखाता है कि जैसे ही बच्चा वयस्क होता है, वह जीवन में विभिन्नता का सामना करता है, जो उसे माता-पिता के साथ विवाद की ओर ले जाता है। नाटक ने बच्चों और माता-पिता के बीच संबंधों की महत्ता को प्रमुखता से दिखाया है।
दिल्ली कला और वाणिज्य महाविद्यालय का नाटक
इस नाटक ने स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में हो रहे शोषण को उजागर किया है। यह नाटक स्वास्थ्य क्षेत्र की लालची प्रवृत्तियों को दिखाता है, जैसे स्वास्थ्य सेवा का अधिक मूल्य लेना और रोगी के स्वास्थ्य की बजाय उसके स्वास्थ्य के लिए अधिक प्राथमिकता देना।
कालिंदी कॉलेज का नाटक
कालिंदी कॉलेज के छात्रों ने AI के प्रभाव पर एक ज्वलंत मुद्दे पर नाटक प्रस्तुत किया। यह नाटक लोगों को बताता है कि AI कैसे हमारी जिंदगी में गलत प्रभाव डाल सकता है, चाहे वह नौकरी का जाना हो या प्राइवेसी का खतरा।
इन नाटकों के माध्यम से, छात्रों ने समाज के विभिन्न मुद्दों पर चिंता प्रकट की और लोगों को जागरूक किया। यह नाटकों ने सामाजिक संदेशों को व्यापक तौर पर प्रस्तुत किया है और लोगों को सोचने पर मजबूर किया है।





