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उद्योग जगत ने स्वदेशी निर्माण को प्राथमिकता देने की मांग की

उद्योग संगठनों ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि इस नीति में सुधार किया जाए ताकि स्वदेशी उत्पादकों को प्रोत्साहन मिले और भारत को चिकित्सा उपकरणों का उत्पादन केंद्र बनाया जा सके

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चिकित्सा उपकरण उद्योग के संगठनों ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय पर आरोप लगाया है कि नवीकृत उपकरणों के आयात की अनुमति देकर उन्होंने राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति का उल्लंघन किया है। उद्योग जगत के लीडर्स ने प्रधानमंत्री से इस नीति में हस्तक्षेप करने की मांग की है, ताकि भारत में निर्मित उपकरणों को प्राथमिकता मिले। इस नीति से ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को भी खतरा बताया गया है, जो स्वदेशी निर्माण और भारतीय रोगियों की सुरक्षा में बाधा बन सकता है।
मुख्य बिंदु:
1. स्वदेशी निर्माताओं का आक्रोश: पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स और इंडस्ट्री व अन्य संगठनों ने नवीकृत चिकित्सा उपकरणों के आयात की अनुमति पर कड़ा विरोध जताया है। उनके अनुसार, यह अनुमति भारत की मेडटेक इंडस्ट्री को आत्मनिर्भर बनने की राह में बड़ी बाधा है और देश की सुरक्षा तथा स्वास्थ्य प्रणाली के लिए हानिकारक हो सकती है।
2. रोगियों की सुरक्षा पर असर: उद्योग जगत के विशेषज्ञों का कहना है कि नवीकृत चिकित्सा उपकरण नई तकनीक के मानकों पर खरे नहीं उतरते, जिसमें मरीज़ों की सुरक्षा से समझौता होता है। इसके अलावा, इन उपकरणों की वारंटी भी कम होती है, जिससे रोगी और डॉक्टर पर अतिरिक्त खर्च का भार बढ़ता है।
3. मेक इन इंडिया’ पर असर: यह पॉलिसी मेडटेक क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को कमजोर बनाती है। उद्योग जगत का कहना है कि नवीकृत उपकरणों का आयात बढ़ने से भारत में इनोवेशन और निवेश बाधित होगा और विदेशी कंपनियों का दबदबा बढ़ेगा। इससे स्थानीय स्टार्ट-अप्स और एमएसएमई को भी नुकसान हो सकता है।
4. नीति सुधार की मांग: उद्योग संगठनों ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि इस नीति में सुधार किया जाए ताकि स्वदेशी उत्पादकों को प्रोत्साहन मिले और भारत को चिकित्सा उपकरणों का उत्पादन केंद्र बनाया जा सके।
-ईशत कांत कपूर
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