अन्यकाम की खबर (Utility News)फरीदाबाद

World Water Day: 22 मार्च बल्लभगढ़ में होगा जल सम्मेलन

गंगा सहित देश की अधिकांश नदियां कूडा़घर बन चुकी हैं। प्रदूषित पानी से आंत्रशोध, त्वचा, कैंसर, हृदय रोग, श्वांस आदि जानलेवा बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। दैनंदिन बढ़ती जानलेवा बीमारियों का कहर इसका जीता-जागता सबूत है। नतीजतन लोग अनचाहे मौत के मुंह में जाने को विवश हैं।  

👆भाषा ऊपर से चेंज करें

आगामी 22 मार्च 2022 को विश्व जल दिवस के अवसर पर बल्लभगढ़ के मलेरणा रोड स्थित बालाजी कालेज आफ एजूकेशन के डा.एस.एन.सुब्बाराव सभागार में जल सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। सम्मेलन के आयोजक शिक्षाविद, विश्व जल परिषद के सदस्य व हरियाणा में तालाबों के पुनर्जीवन योजना के प्रणेता डा. जगदीश चौधरी के अनुसार इस सम्मेलन में प्रख्यात पर्यावरणविद, नदी मामलों के जानकार एवं श्री सरस्वती हैरिटेज फाउण्डेशन, मुंबई के अध्यक्ष जगदीश गांधी, हिमालयी पर्यावरण अध्ययन संस्थान, उत्तरकाशी के अध्यक्ष पर्यावरणविद सुरेश भाई, ग्राम विकास संस्थान, जयपुर के अध्यक्ष व अपने प्रयासों से पानी के मामले में 54 से अधिक गांवों की तकदीर बदलने वाले पर्यावरणविद लक्ष्मण सिंह लापोडिया, प्रख्यात मृदा विशेषज्ञ एवं पूर्व आई एफ एस श्री बी.एम. एस.राठौर ( भोपाल), डा.अनुभा पुंढीर एवं केसर सिंह (देहरादून), यमुना नदी के संरक्षण व उद्धार हेतु अपना जीवन समर्पित करने वाले दिल्ली के अशोक उपाध्याय, श्रीमती रागिनी रंजन (पटना), शेखा झील के उद्धारक पर्यावरणविद सुबोध नंदन शर्मा एवं वृक्षों के संरक्षण के लिए विख्यात श्रीमती शांति सिंह (अलीगढ़) एवं  संजय राणा (बागपत) आदि पर्यावरण विशेषज्ञ सहभागिता कर रहे हैं। डा.जगदीश चौधरी ने सभी पर्यावरण प्रेमियों से इस सम्मेलन में भाग लेने की अपील की है ताकि देश के पर्यावरण व जल विषयक मामलों के विशेषज्ञों के विचारों से लाभ लें और पर्यावरण व जल संरक्षण की दिशा में अपना महती योगदान दें।
          आज सबसे बडी़ चिंता की बात यह है कि प्रकृति और पर्यावरण की ओर किसी का ध्यान नहीं है। जल संकट से आज समूची दुनिया जूझ रही है। वह चाहे जल हो, नदी हो, वातावरण हो, वायु हो या हमारे भूजल स्रोत, सभी प्रदूषित है। औद्योगिक इकाइयों के रसायन युक्त अपशेष की अहम भूमिका है। इसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव मानव जीवन पर पड़ रहा है। देश का अधिकांश हिस्सा साफ पानी की समस्या से जूझ रहा है। आज भी देश के सुदूर अंचलों में पीने के एक मटके पानी के लिए मीलों का सफर तय करना पड़ता है। कहीं-कहीं तो लोग के लिए गड्ढों का दूषित पानी पीना उनकी नियति बन गया है। गंगा सहित देश की अधिकांश नदियां कूडा़घर बन चुकी हैं। प्रदूषित पानी से आंत्रशोध, त्वचा, कैंसर, हृदय रोग, श्वांस आदि जानलेवा बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। दैनंदिन बढ़ती जानलेवा बीमारियों का कहर इसका जीता-जागता सबूत है। नतीजतन लोग अनचाहे मौत के मुंह में जाने को विवश हैं। यही वजह है कि आये-दिन ऐसी बीमारियों से होने वाली मौतों का आंकडा़ बढ़ता ही जा रहा है। यही नहीं प्रदूषण के चलते जहां मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म होती जा रही है, वहीं अधिकांश भूमि बंजर होती जा रही है। इसमें हमारी बदलती जीवन शैली की अहम भूमिका है। ऐसी स्थिति में इस मुद्दे पर विचार-विमर्श समय की महती आवश्यकता है। विश्व जल दिवस पर जल सम्मेलन के आयोजन का यही पाथेय है।
Tags

Related Articles

Back to top button
Close