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“वर्ल्ड होली नेम फेस्टिवल”

किस्मत के बंद तालों को खोलने की चाबी है हरि नाम संकीर्तन

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हरि नाम में अनंत शक्ति है। यही हमें आकर्षित, प्रफुल्लित और मानसिक शांति प्रदान करती है। देश-विदेश के कोने-कोने में व्याप्त इस अद्भुत शक्ति की महिमा को हर कोई अनुभव कर रहा है, इसे उत्सव के रूप में मना रहा है। 25वें “वर्ल्ड होली नेम फेस्टिवल” के अवसर पर श्री श्री रुक्मिणी द्वारकाधीश इस्कॉन मंदिर में हरि नाम महा संकीर्तन का शुभारंभ 10 सितंबर से हुआ। शनिवार शाम जहाँ सैकड़ों की संख्या में द्वारका, सेक्टर-21 के पैसिफिक मॉल में भक्तजनों ने संकीर्तन के दर्शन एवं श्रवण का लाभ लिया, वहीं रविवार की शाम द्वारका, सेक्टर-14 के वेगास मॉल में भी यही रौनक नजर आई। 23 सितंबर तक चलने वाले इस महोत्सव में शहर-शहर, गली-कूचों में पवित्र नाम की महिमा का गुणगान किया जाएगा।

इस्कॉन के संस्थापक श्री श्रीमद् ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद जी 17 सितंबर 1965 के दिन ‘हरे कृष्ण…’ महामंत्र प्रचार हेतु अमेरिका पहुँचे थे। इसी स्मृति में इसे उत्सव के रूप में मनाया जाता है। प्रभुपाद जी के अनुयायी देश-विदेश के हर मंच पर उनके सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार कर लोगों की किस्मत के बंद तालों को खोलने का प्रयास कर रहे हैं। जिस तरह भाग्य आपके दरवाज़े पर खुद आकर दस्तक देता है, उसी प्रकार भगवान कृष्ण के ये भक्त आपको हरि नाम देकर भक्ति के पथ की ओर प्रेरित कर रहे हैं। प्रति वर्ष सितंबर माह में ‘वर्ल्ड होली नेम फेस्टिवल’ विश्व के सभी इस्कॉन केंद्रों में मनाया जाता है और हरि नाम संकीर्तन संपूर्ण विश्व के विभिन्न शहरों की गलियों में खूब धूमधाम से गाया जाता है।

इस मत से जुड़े विभिन्न वैष्णव आचार्यों का कहना है कि जब कोई 32 अक्षरों के मंत्र और 16 नाम वाले महामंत्र ‘हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे’ का जप शुद्ध मन से और उच्च स्वर में करता है तो श्रीमती राधारानी और परम भगवान कृष्ण के धाम यानी वैकुंठ को प्राप्त हो जाता है। इस आवाज को श्रवण करने मात्र से ही उस जीव का उद्धार हो जाता है। हरि नाम की ऐसी अद्भुत महिमा का स्वयं उन्होंने अनुकरण भी किया है।

इस्कॉन द्वारका में अपनी अनन्य सेवाएँ दे रहे रवि लोचन प्रभु जी का कहना है कि हरि नाम अपने आप में ही एक उत्सव है। हरि नाम महा संकीर्तन लोगों को आत्मिक रूप से जाग्रत करने का एक अचूक अस्त्र है, जिसके माध्यम से अब तक तमाम आचार्यों ने लोगों के अंदर भक्ति चेतना का बिगुल बजाया। मृदंग तथा करताल की मधुर ध्वनियों से सर्वव्यापी प्रसारित यह संकीर्तन न केवल स्वयं के भव बंधनों से मुक्ति का माध्यम है बल्कि शहर-शहर, गाँव-गाँव में बसे लोगों के जीवन की एक प्रेरणात्मक शक्ति भी है। आप आएँ, इसमें शामिल हो कर भक्ति रस का रसास्वादन करें।

प्रस्तुति- वंदना गुप्ता

इस लेख से सम्बंधित Video देखने के लिए कृपया इस Link पर क्लिक करें:-https://youtu.be/5caEka7CD0g

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