World Environment Day: पौधे लगाएं, पर्यावरण बचाएं
कितना भी छोटा घर क्यों न हो, उसमें एक या दो गमले तो रखे ही जा सकते है। इससे हमारे बच्चे भी खेल-खेल में पौधों के महत्व के बारे में सीख जाते हैं।

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दिनोंदिन ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। अगर इसे रोका नहीं किया गया, तो इससे कई देशों का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। इसके लिए अगर महिलाएं अपने घर से ही छोटे-छोटे प्रयास करें, तो यह एक सराहनीय कदम होगा:-
दुनिया की आधी आबादी महिलाओं की है। अगर वे चाहे तो अपने प्रयास से पर्यावरण को बचाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं। भले ही उनके उपर घर परिवार और करियर से संबंधित बहुत सारी जिम्मेदारियां होती हैं। फिर भी इस काम को वे कर सकती हैं। हालांकि महानगरों में स्पेस की कमी होती है। हर कोई अपना गार्डेन (Garden) नहीं बना सकता है। हमारे यहां घार्मिक दृष्टिकोण से भी पेड-पौधों को पूजा के नाम पर ही सही, पर उसकी रक्षा की जाती है। यही कारण है कि हर घर में तुलसी का पौधा जरूर देखने को मिल जाता है। वैसे तो, हमारे यहां पीपल, बरगद, आंवला, नीम और आम के पेड़ का बहुत महत्व है। बड़े शहरों मेें भी पार्क में वहां ये सब पेड़ आसानी से देखने के लिए मिल जाते है। कितना भी छोटा घर क्यों न हो, उसमें एक या दो गमले तो रखे ही जा सकते है। इससे हमारे बच्चे भी खेल-खेल में पौधों के महत्व के बारे में सीख जाते हैं।
कहती हैं इंदिरा मिश्रा जो एक स्कूल की रिटायर प्रिंसिपल हैं। अब तो मुझे पेड़-पौधों से इतना लगाव हो गया है कि उनसे मिले बिना मैं सोने के लिए भी नहीं जाती हूँ। पहले मुझे इतना शौंक नहीं था, क्योंकि उस समय बच्चे भी छोटे-छोटे थे और भी अनेक तरह की जिम्मेदारियां (Responsibilities) थी। लेकिन रियटायर होने के बाद मेरे पास बहुत समय था। जब मैं अपने आस -पड़ोस के घरों में जाती थी तो उनके खूबसूरत बगीचे को देखकर आनंदित महसूस करती थी। ऐसा लगता था कि तनाव से मुक्त हो गई हूँ मैं। धीरे-धीरे इसमें मेेरी रूचि बढ़ने लगी और मैं अपने आंगन में पौधे लगाने लगीं। आखिर मेहनत रंग लाई और मेरा बगीचा आज अनेक तरह के फल,फूल और हर्बल पौधों से सुशोभित हो रहा है। इसकी देखभाल में हमारे पोते भी हाथ बंटाते हैं और मेरीे गैरहाजिरी में मेरे बगीचे का भी ध्यान रखते हैं। इसलिए कहा जाता है कि बड़ों को देखकर ही बच्चे भी सिखते हैं।
अगर हर व्यक्ति इस बात को समझ जाए तो कुछ हद तक समस्या से निजात पाया जा सकता है – कहती हैं सुनीता सिन्हा जो पेशे से एक सोल थेरेपिस्ट (therapist) हैं। पहले मुझे पेड़-पौधे लगाने का उतना शौंक नहीं था। मैं अपनी सास को देखती थी कि वे पौधे का केयर कितने प्यार से करती हैं। उसको पानी देती हैं और उसे प्यार से निहारती रहती हैं, तब धीरे-धीरे मेरा भी इसमें इंटरेस्ट बढ़ने लगा। हमारे यहां लोक चित्रकला के माध्यम से भी इसका महत्व दिखाया गया है। मैं अपने कमरे में भी पौधों को रखती हूँ। इससे पूरा वातावरण (atmosphere)चेंज हो जाता है। एक सकारात्मक फीलिंग (Positive feeling)आती है। जंगलों की कटाई से ही आज स्थिति इतनी भयावह हो गई है। अब तो छोटे-छोटे बच्चे भी इस बात को समझने लगे हैं। कोरोना ने तो सबको एहसास करवा दिया है। जिनके पास जगह है वे तो हर्बल गार्डेन भी बना रहे हैं।
लोकगायिका और कवयित्री डाॅ विजया भारती कहती हैं कि मुझे पेड़-पौधे लगाना बहुत पसंद है। मैं अपने बालकनी में ही पौधे लगा रखी हूँ और कुछ अपने छत पर भी गमले रखी हूँ। मेरे दिन की शुरूआत पेड़-पौधों के संग ही होती है। जब हमारे बच्चे देखते हैं कि मम्मी पौधों का इतना ध्यान रखती हैं तो धीरे-धीरे वे भी इसमें इंटरेस्ट लेने लगते हैं। वे भी देखते हैं कि किसी पौधे को पानी की जरूरत तो नहीं है। अब तो तोफे में भी पौधा दिया जाने लगा है। छोटे स्तर पर ही सही एक सार्थक प्रयास तो कर ही सकते हैं। इसके लिए अब हर महिला को जागरूक होना पड़ेगा।
ब्रहमा कुमारीकल्पतरू प्रोजेक्ट के तहत ब्रह्माकुमारी पहाड़गंज दिल्ली सेवा केंद्र द्वारा स्वाति वर्किंग गर्ल्स हॉस्टल मंदिर मार्ग नई दिल्ली में पौधारोपण किया गया इस दौरान गर्ल्स हॉस्टल की छात्राओं को मेडिटेशन का अभ्यास कराया गया और कल्पतरु प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी दी गई छात्राओं ने इस दौरान एक एक पौधे को अडॉप्ट किया और उन्हें नाम देकर उसकी पालना के लिए संकल्प किया इस कार्यक्रम में बीके ज्योति सेवा केंद्र प्रभारी पहाड़गंज और बीके वर्षा, बीके बनानी द्वारा राजयोग का अभ्यास और आत्मा और परमात्मा के बारे में जानकारी दी गई कार्यक्रम में हॉस्टल मैनेजर एनी जॉन भी शामिल हुए उन्होंने ब्रम्हाकुमारी के प्रोजेक्ट की सराहना करते हुए इससे पर्यावरण के लिए बहुत जरूरी बताया। इस अवसर पर छात्राओं को पर्यावरण के संरक्षण के लिए और दया और करुणा के लिए संकल्प करा कर प्रतिज्ञा कराई गई।इस मौके पर सभी छात्राओं को ब्रहमा कुमारी (Brahma kumaris) ऐप कल्पतरु डाउनलोड कराई गई, साथ ही छात्राओं ने एक पौधे को गोद ले कर पौधे को नाम दिया और उसकी देखरेख करने की प्रतिज्ञा की।
मेरा यह मानना है कि पर्यावरण दिवस (environment Day) के अवसर पर ही पेड़ क्यों लगाएं? जिसको जब मौका मिले एक पौधा जरूर लगाए। पर्यावरण (environment)की वजह से ही तो हमारा जीवन और जल बचा हुआ है। पेड़-पौधों की कटाई से ही तो आज स्थिति इतनी भयानक हो गई है। हमारे लोकगीत में भी पेड़-पौधे, फूल आदि का खूब वर्णन किया गया है जो हमें जीवन देता है। पहले लोग इसके महत्व को समझते थे और इसकी हिफाजत भी करते थे। इन दिनों लोगों में इसके प्रति जागरूकता (Awareness) बहुत बढ़ी है। अगर इसमें महिलाएं हिस्सा लेती हैं और अपने बच्चों कोे भी इसके प्रति जागृत करती हैं, तो छोटे-छोटे स्तर पर ही सही, पर उनका सबसे बड़ा सहयोग होगा। इसके साथ ही सरकार को भी ध्यान देना पड़ेगा।
प्रस्तुति-संध्या रानी