UP Exit Polls: अगर सच हुए तब भी सपा और अखिलेश यादव के लिए खुशखबरी
2017 के मुकाबले बहुत बेहतर करती दिख रही सपा, इतने फिसदी वृद्धि सीटों में
👆भाषा ऊपर से चेंज करें
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के सातवें फेज की वोटिंग के बाद आए लगभग सभी एग्जिट पोल्स का कहना है कि एक बार फिर योगी भाजपा की सरकार बनने जा रही है। समाजवादी पार्टी को लेकर सभी एग्जिट पोल्स का एक ही इशारा है कि पार्टी 2017 के मुकाबले बहुत बेहतर करती दिख रही है। लेकिन एग्जिट पोल्स को देखा जाए तब सत्ता से दूर दिख रही है।यदि एग्जिट पोल्स सच भी साबित हुए तो सपा के लिए खुशी की कुछ खबरें हैं।
सभी एग्जिट पोल्स ने एकमत से कहा है कि सपा गठबंधन 100 से 150 सीटों पर कब्जा कर सकता है, जबकि 2017 में महज 47 सीटों के साथ हार का सामना करना पड़ा था।
ये रहे विभिन्न चैनलों के एग्जिट पोल्स सपा के लिए
एक्सिस माय इंडिया सपा को 71 से 101 सीटें मिल सकती हैं।
एबीपी-सी वोटर ने 132 से 148 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है।
न्यूज 24 चाणक्या ने 86-124 सीटें मिलने की बात कही है।
टाइम्स नाउ वीटो का कहना है कि सपा 151 सीटें हासिल कर सकती है।
रिपब्लिक-पी मार्क के मुताबिक सपा 130-150 सीटों सीटों तक जा सकती है।
वहीं पार्टी के वोट शेयर में भी 2017 के मुकाबले काफी इजाफा होता दिख रहा है। लगभग सभी एग्जिट पोल्स में सपा के लिए वोट शेयर में 10-15 प्रतिशत का अनुमान लगाया गया है। Read More: राज्य निर्वाचन आयोग ने जारी की गाइडलाइन, उम्मीदवारों पर कई तरह की पाबंदी
मायावती के वोटर्स को अपनी तरफ लाने में कामयाब
लगभग सभी एग्जिट पोल्स में वोट शेयर को लेकर जो अनुमान लगाया गया है उसके विश्लेषण से पता चलता है कि सपा-बसपा के वोट शेयर में सेंधमारी में कामयाब रही है। पार्टी के लिए यह राहत की बात है कि सपा के खिसकते जनाधार को वह अपनी ओर मोड़ने में कामयाब रही है। यदि बसपा का वोटर शेयर बीजेपी की ओर ट्रांसफर होता तो बीजेपी पिछले साल के रिकॉर्ड को भी तोड़ सकती थी। मुस्लिम, यादव के बेस के साथ पार्टी को यदि दलित वोटर्स का भी साथ मिला है तो अभिवष्य में सपा के लिए यह शुभ ही साबित होगा।
बीजेपी का विकल्प बनने का तैयार
एग्जिट पोल्स का एक और साफ संदेश यह है कि यूपी की राजनीति अब भाजपा और सपा पर ही केंद्रित हो गई है। बसपा का जनाधार लगातार सिमट रहा है तो तमाम कोशिशों के बावजूद कांग्रेस जमीन नहीं तलाश पा रही है। ऐसे में यदि इस चुनाव में सपा सत्ता से दूर भी रह जाती है तो उसे यह संतोष जरूर होगा कि आने वाले समय में यदि जनता बीजेपी का विकल्प तलाश करेगी तो उसके सामने सिर्फ सपा होगी।
कार्यकर्ताओं का बढ़ेगा उत्साह
2017 और फिर 2019 के चुनाव में पहले कांग्रेस और फिर बसपा के साथ गठबंधन के बावजूद सपा को निराशाजनक परिणाम मिले थे। 2022 के एग्जिट पोल्स में भी पार्टी को सत्ता मिलती नहीं दिख रही है, लेकिन पार्टी के प्रदर्शन में जो इजाफा हुआ है, उससे काडर में एक सकारात्मक संदेश जरूर जाएगा। पार्टी कार्यकर्ताओं का उत्साह जरूर बढ़ सकता है, जोकि किसी भी राजनीतिक दल के लिए संजीवनी की तरह होता है।