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Twin Tower Demolition:आठ सेकंड में जमींदोज हुआ नोएडा का ट्विन टावर

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नोएडा सेक्टर-93 ए स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के ट्विन टावर धमाके के बाद जमींदोज हो हुए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सेक्टर-93 ए स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के ट्विन टावर धमाके के बाद जमींदोज कर दिया गया। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे पर ट्रैफिक पूरी तरह से रुक गया है। स्थानीय लोग ट्विन टावर देखने एक्सप्रेस वे पर पहुंच गए।
पुलिस ने नोएडा-ग्रेटर नोएडा हाईवे को बंद कर दिया गया था। पुलिस द्वारा हटाने के बाद भी स्थानीय ग्रामीण फ्लाईओवर पर चढ़े हुए थे।
ट्विन टावर गिराए जाने से कुछ समय पहले सुपरटेक का बयान आया है। बयान में कहा गया है कि प्राधिकरण को पूरा भुगतान करने के बाद हमने टावर का निर्माण किया था। हालांकि, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने तकनीकी आधार पर निर्माण को संतोषजनक नहीं पाया है और दोनों टावरों को ध्वस्त करने के आदेश जारी किए। हम सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का सम्मान करते हैं और उसे लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमने एक विश्व प्रसिद्ध कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग को ध्वस्त का काम सौंपा है, जिनके पास ऊंची इमारतों को सुरक्षित रूप से गिराने में विशेषज्ञता है। हमने करीब 70000 से अधिक लोगों फ्लैट्स तैयार करके दे दिए हैं। बाकि  लोगों को भी निर्धारित समय में दे दिए जाएंगे।
ट्विन टावर का गिरना नोएडा वासियों के लिए ऐतिहासिक घटना है, लेकिन देश-दुनिया में पहले भी ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं। दुनिया में अब तक जो सबसे बड़ी इमारत गिराई गई है वह संयुक्त अरब अमीरात की मीना प्लाजा है। 168.5 मीटर की इमारत मात्र 10 सेकेंड में गिरा दी गई थी। हालांकि, सबसे बड़े गिरे ढांचे की बात करें तो वह दक्षिण अफ्रीका का एक पावर प्लांट था। वहीं अब तक देश में केरल में एक जगह चार आवासीय टावरों को एक साथ ध्वस्त किया गया है।
देश-दुनिया में कहीं आर्थिक कारणों तो कभी बनावट में दिक्कतों आदि की वजह से इमारतों को गिराया गया। अब तक दुनिया में 50 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले करीब 200 टावरों को ध्वस्त किया गया है। मीना प्लाजा ऐसी इमारत थी जो कभी पूरी ही नहीं हो सकी। मीना प्लाजा के बनने की शुरुआत 2007 में हुई थी। इसे अलग-अलग निवेशकों ने मिलकर शुरू किया, लेकिन 2012 में अंदरूनी झगड़ों के कारण काम को बीच में ही रोकना पड़ा।
किसी तरह सुलह समझौतों के बाद 2015 में काम दोबारा शुरू हुआ, लेकिन पूरा ना हो सका। इसके बाद सरकार 2020 में इसे अपने अधीन लेकर गिरवा दिया, ताकि दूसरे निर्माण कार्य किए जा सकें। 2020 में गिरी यह इमारत अब तक गिराई गई सबसे बड़ी इमारत है। यदि सबसे बड़े गिराए गए ढांचे की बात करें तो वह दक्षिण अफ्रीका के म्युमलंगा प्रांत में बना एक पावर प्लांट था। इसे क्षतिग्रस्त होने के कारण सरकार ने गिराने का निर्देश दिया।
दुनिया में सबसे पहले आधिकारिक तौर पर तोड़ी गई बड़ी इमारतों में ब्राजील की इमारत शामिल है। यहां वर्ष 1975 में विल्सन मेंडस 110 मीटर ऊंची इमारत को मेट्रो स्टेशन का रास्ता बनाने के लिए ध्वस्त किया था।
अब तक देश में एक जगह चार आवासीय टावरों को एक साथ ध्वस्त किया गया है। ये टावर केरल के मराडु में थे। इनमें से तीन की ऊंचाई 17 मंजिल और एक की ऊंचाई 19 मंजिल थी। इस इमारत को गिराने की जिम्मेदारी भी नोएडा में ट्विन टावर गिरा रही कंपनी को मिली थी।
एक साल में क्या क्या हुआ
    31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए सुपरटेक के दोनों टावरों को 30 नवंबर 2021 तक गिराने का आदेश दिया। तय समय पर काम पूरा नहीं हो पाया। एजेंसी नहीं मिलने की बात कोर्ट से बताई गई।
    तय समय में काम पूरा नहीं हो पाया तो सुप्रीम कोर्ट ने अपील के बाद 22 मई 2022 की नई समय सीमा तिथि। चयनित एजेंसी एडिफिस इंजीनियरिंग (Edifice Engineering) ने 20 फरवरी को साइट को कब्जे में लिया। पार्टनर की कंपनी जेट डिमोलिशन है।
    तैयारियों के बाद 10 अप्रैल को टेस्ट ब्लास्ट किया गया। इसका मकसद इमारत की मजबूती को परखना रहा।
    22 मई तक काम पूरे नहीं होने पर आखिरकार 21 अगस्त को टावर गिराने का निर्णय लिया गया। इस बाबत सुप्रीम कोर्ट को भी अवगत कराया गया।
    विस्फोटक लाने की अनुमति नहीं मिलने पर एक बार फिर तिथि आगे बढ़ी कोर्ट ने 4 सितंबर तक की तिथि दी, लेकिन तैयारियों के बाद 28 अगस्त को ट्विन टावर गिराने का निर्णय लिया गया।
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