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फिर से आज भारत को बापू की ज़रूरत है- अना देहलवी

साहित्य अकादमी द्वारा 'नारी चेतना' आयोजित कार्यक्रम में उर्दू की पाँच मशहूर शायराओं शबाना नज़ीर, इफ़्फ़त ज़र्री, अना देहलवी, रेशमा ज़ैदी और आबगीना आरिफ़ ने अपने अपने कलाम प्रस्तुत किए

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साहित्य अकादमी द्वारा सोमवार को ‘नारी चेतना’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें उर्दू की पाँच मशहूर शायराओं शबाना नज़ीर, इफ़्फ़त ज़र्री, अना देहलवी, रेशमा ज़ैदी और आबगीना आरिफ़ ने अपने अपने कलाम प्रस्तुत किए।
     कार्यक्रम की शुरुआत आबगीना आरिफ़ की नज़्मों से हुई। उनकी नज़्मों के शीर्षक थे देवी, चेहरे, पस्ती जंगल और आग। इन नज़्मों में जहाँ उनके तल्ख अनुभव दर्ज थे वहीं समाज के नजरिए को भी बेबाकी से प्रस्तुत किया गया था।
     इसके बाद रेशमा ज़ैदी ने अपनी कुछ नज़्में और ग़ज़लें  प्रस्तुत कीं। उनके सभी अशआर और ग़ज़लों को श्रोताओं ने बहुत पसंद किया। अना देहलवी ने तरन्नुम में अपनी ग़ज़लें प्रस्तुत कीं, तो श्रोता मंत्रमुग्ध हो उठे। उनके कुछ शेर- ‘पत्थर में हर पत्थर देवता नहीं होता’, या ‘फिर से आज भारत को बापू की ज़रूरत है’ पर खूब तालियाँ बजीं। इफ़्फ़त ज़र्री ने कई नज़्में अपने ख़ास लहजे में कुछ ग़ज़लें प्रस्तुत कीं। एक ग़ज़ल के शेर ‘मोहब्बत में जुनूँ की आज़माइश कौन करता है, हो खंडहर दिल तो फिर इसमें रिहाइश कौन करता है’… को खूब दाद मिली। अंत में, वरिष्ठ शायरा शबाना नज़ीर ने अपनी कई नज़्में और ग़ज़लें सुनाईं, जिनके  शीर्षक थे- रोबोट, वफ़ा, ज़मीं का दर्द आदि। इस अवसर पर कई  महत्वपूर्ण शायर और श्रोता उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन संपादक (हिंदी) अनुपम तिवारी ने किया।
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