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हमारी भाषा और संस्कृत भाषा में बहुत सी समानताएँ हैं -मुहम्मद चेंगीच

साहित्य अकादमी द्वारा बोस्निया एवं हर्जेगोविना के राजदूत महामहिम मुहम्मद चेंगीच का रचना-पाठ आयोजित किया गया

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साहित्य अकादमी द्वारा शुक्रवार को साहित्य मंच कार्यक्रम के अंतर्गत भारत में बोस्निया एवं हर्जेगोविना के माननीय राजदूत महामहिम मुहम्मद चेंगीच के रचना-पाठ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के आरंभ में साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने उनका स्वागत अंगवस्त्रम और अकादमी की पुस्तकें भेंट करके किया। अपने स्वागत भाषण में उन्होंने कहा कि भारत की तरह ही बोस्निया एवं हर्जेगोविना की संस्कृति भी विविधतापूर्ण है और वहाँ का लोक साहित्य भी हमारी तरह ही समृद्ध है। साहित्य अकादमी अपने सांस्कृतिक आदान-प्रदान योजना के अंतर्गत ऐसे आयोजनों से एक दूसरे को और बेहतर जानने समझने के लिए एक मंच प्रदान करती है।
     के. श्रीनिवासराव ने महामहिम का परिचय देते हुए कहा कि भारत के संगीत, साहित्य और संस्कृति के प्रति रुचि रखने वाले मुहम्मद चेंगीच भारत को और नज़दीक से समझने के लिए लगातार प्रयासरत रहते हैं। उनकी कविताएँ भी भारत की अलग-अलग विशेषताओं और उनकी छवियों को चित्रित करती हैं। इस अवसर पर विदेश एवं संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी द्वारा भेजा गया शुभकामना संदेश भी पढ़ा गया।
       महामहिम मुहम्मद चेंगीच ने अपनी तीन कविताएँ प्रस्तुत की, जिनके शीर्षक थे  सांगली रिवर टेल, अफ्रीका आदि। इस दौरान बोस्निया एवं हर्जेगोविना के महान् कवि मक दिज़दार के प्रसिद्ध काव्य ‘कामेनी स्पावॉच’ के हिंदी अनुवाद ‘ख़ाक में सूरतें’ से भी कुछ कविताएँ प्रस्तुत की गईं। कार्यक्रम के अंत में, उपस्थित श्रोताओं ने उनसे बोस्निया एवं हर्जेगोविना के सामाजिक,सांस्कृतिक और वहाँ की साहित्यिक पत्रिकाओं तथा संस्थाओं के बारे में अनेक प्रश्न  पूछे। भाषा के सवाल का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि उनकी भाषा और संस्कृत भाषा में बहुत सी समानताएँ हैं। कार्यक्रम में अनेक भारतीय भाषाओं के लेखक उपस्थित थे।
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