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अयोध्या के भव्य श्री राम मंदिर में पंडित अभय सोपोरी के संतूर की गूंज ने समा बांधा
पं. अभय सोपोरी कश्मीर के 300 साल पुराने प्रसिद्ध सोपोरी-सूफियाना घराने से हैं और शैव-सूफी संगीत परंपरा की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं
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अंतरराष्ट्रीय स्तर के संतूर वादक और संगीतकार पंडित अभय सोपोरी ने भगवान राम को समर्पित 45 दिनों तक चलने वाले “श्री राम राग सेवा” संगीत समारोह में आज यानि मंगलवार को अयोध्या में राम मंदिर में प्रदर्शन कर अपने संतूर वादन के साथ ‘गर्भ गृह’ के सामने भगवान राम के चरणों में अपनी ‘राग सेवा’ अर्पित की, जहां PM नरेंद्र मोदी द्वारा भगवान राम की नई मूर्ति का अभिषेक किया गया था।
पंडित अभय सोपोरी ने अपने वादन की शुरुआत दोपहर के राग भीम से की, जो कि एक अप्रचलित राग है। उन्होंने आलाप, जोड़ और जोड़-झाला को अपनी विशेष शैली ‘सोपोरी बाज’ में प्रस्तुत किया, जो संगीत के महान दिग्गज पंडित भजन सोपोरी द्वारा बनाई गई शास्त्रीय संतूर वादन की एक अनूठी शैली है। उन्होंने ठेठ ध्रुपद अंग, मीन्ड, गमक, क्रिंतन, ज़मज़मा आदि जैसी विभिन्न बारीकियों और सोपोरी शैली के विभिन्न छंद प्रस्तुत किए। इसके बाद अभय ने अपने परदादा, कश्मीर में संगीत के महान गुरु, पंडित संसार चंद सोपोरी द्वारा रचित तराना प्रस्तुति दी जो मध्यलय एकताल में निबद्ध थी। इसके बाद अभय ने द्रुतलय तीनताल में बंदिश “हे राम” और अति-द्रुतलय तीनताल में जाहला और विभिन्न तानों के साथ गत प्रस्तुत की। अभय ने वादन का समापन स्वयं रचित भजन “राम नाम जप ले रे” के साथ किया जो राग काफी में निबद्ध थी। पंडित अभय सोपोरी के साथ पखावज पर महिमा उपाध्याय, तबले पर चंचल सिंह ने संगत की। अभय के साथ उनकी धरमपत्नी, प्रसिद्ध भक्ति और सूफी गायिका, रागिनी रैनू ने तानपुरा और गायन में साथ दिया। अभय के वादन की खूबूसरती यह भी थी कि वह साथ में गा भी रहे थे, जो उनकी एक ख़ास शैली है।
पंडित सोपोरी ने अपनी माताजी प्रोफेसर अपर्णा सोपोरी और साथी संगीतकारों के साथ दिव्य राम लला के दर्शन किए और आशीर्वाद प्राप्त किया। महोत्सव की परिकल्पना और आयोजन करने वाले यतिंदर मिश्रा ने उनका सम्मान भी किया।
पं. अभय सोपोरी कश्मीर के 300 साल पुराने प्रसिद्ध सोपोरी-सूफियाना घराने से हैं और शैव-सूफी संगीत परंपरा की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। वह महान संत, संगीतकार और प्रसिद्ध संतूर वादक एवं संगीतकार पंडित भजन सोपोरी के पुत्र और शिष्य हैं और संगीत के महान गुरु पं. शंभू नाथ सोपोरी के पोते हैं, जिनको जम्मू-कश्मीर में भारतीय शास्त्रीय संगीत का जनक माना जाता है।
पं. अभय सोपोरी को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें संयुक्त राष्ट्र मान्यता प्राप्त महात्मा गांधी शांति पुरस्कार, भारत का टॉप ग्रेड कलाकार की मान्यता – भारत सरकार, भारत के संसद में प्रस्तुत अटल शिखर सम्मान, भारत के चुनाव आयोग द्वारा जम्मू कश्मीर का स्टेट आइकॉन टाइटल, जम्मू-कश्मीर सरकार पुरस्कार, बेस्ट सिटीजन्स ऑफ़ इंडिया अवार्ड, भारत सरकार की संगीत नाटक अकादमी का पहला युवा पुरस्कार, आदि भी शामिल है। एक प्रर्वतक और रचनाकार, अभय लगातार संतूर की संभावनाओं की खोज करते हैं और इसे आगे बढ़ाते हैं। उनका योगदान प्रदर्शन और रचनाओं से भी आगे है। उनके निरंतर प्रयासों से जम्मू और कश्मीर में सांस्कृतिक नीति शुरू करने और शैक्षणिक संस्थानों में संगीत को एक औपचारिक विषय के रूप में एकीकृत करने में, सांस्कृतिक पुनर्जागरण को बढ़ावा देने और हजारों उभरते संगीतकारों को मंच प्रदान करने में इनकी बहुत बड़ी भूमिका है। इन्हे नई पीढ़ी को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। संगीत, सांस्कृतिक संरक्षण और परोपकार के प्रति उनका अथक समर्पण न केवल एक प्रमुख संगीतकार के रूप में बल्कि भारतीय शास्त्रीय संगीत के भविष्य को आकार देने वाले एक सांस्कृतिक राजदूत के रूप में उनकी जगह को मजबूत करता है।
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