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देश की कला और संस्कृति से रूबरू करवाता सूरजकुंड का मेला
वैसे तो यह मेला हर साल 1 फरवरी से 14 फरवरी तक लगता है। लेकिन इस बार यह मेला 3 फरवरी से लेकर 19 फरवरी तक लगा है।
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बचपन में मेले का नाम सुनते ही खुशी से मन झूम उठता था। अब तो ऐसा लगता है कि मेला शब्द ही डिक्षनरी से गायब हो गया है। उसकी जगह बड़े-बड़े माॅल और शोरूम ने ले ली है। पहले के जमाने में मेला साल में एक ही बार लगता था और लोग बड़ी बेसब्री से सालभर मेले का आनंद लेने के लिए इंतजार करते थे। मेले में सर्कस (Circus) जरूर होता था। इसे बच्चे, बूढ़े सभी लोग देखना पसंद करते थे। मेला देखने के लिए लोग बहुत ही सज-धज्जकर जाया करते थे। आजकल के बच्चों को तो इसके बारे में कुछ पता ही नहीं है, क्योंकि अब तो मेला लगना ही बंद हो गया है। जब हमलोगों ने सूरजकुंड मेला (Surajkund Fair) देखने का प्लान बनाया तो बचपन की यादें अचानक ही ताजा हो गई। कोरोना की वजह से दो साल तक तो मेला लगा ही नहीं था। वैसे तो यह मेला (fair) हर साल 1 फरवरी से 14 फरवरी तक लगता है। लेकिन इस बार यह मेला 3 फरवरी से लेकर 19 फरवरी तक लगा है।
इस मेले में कई देश के हस्तशिल्प (Handicraft) कलाकार भाग ले रहे हैं, जैसे बंगलादेश, नेपाल, उजबेकिस्तान, थाइलैंड, अफगानिस्तान आदि। अफगानिस्तान का कालीन तो बेहद खूबसूरत होता है। इसकी कीमत भी बहुत होती है, क्योकि इसकी बुनाई बहुत ही बारीकी से की जाती है। इसके अलावा बैग,कपड़े चूड़ियां और लकड़ी की मूर्ति भी यहां बहुत ही अच्छी मिल रही है। इन मूर्तियों में दक्षिण भारतीय कला और संस्कृति की झलक दिखाई देती है। यदि आप पूरे देश की कला और संस्कृति से रूबरू होना चाहते हैं तो इस मेले में एकबार जरूर जाएं। यह मेला हरियाणा के फरीदाबाद जिले में लगता है। इस मेले को देखने के लिए बहुत लोग आते हैं। इस मेले में सभी चीजें आसानी से मिल जाती हैं। इसके अलावा मेले में विभिन्न क्षेत्रों के अलग-अलग स्वादिष्ट भोजन का स्वाद भी ले सकते हैं। मेले में खाने -पीने के अलावा लोक कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुति भी होती है जो दर्शकों को झूमने के लिए मजबूर कर देती है।
प्रस्तुति–संध्या रानी
प्रस्तुति–संध्या रानी