photo galleryदेश (National)धर्म/समाजराज्य (State)सिटी टुडे /आजकल

सावन में झूला झूल रहे श्री श्री राधा कुंज बिहारी

दीप दान के प्रकाशऔर संकीर्त्तन की धूम से सजेगी मंदिर की रौनक

👆भाषा ऊपर से चेंज करें

श्रावण मास का पवित्र महीना चल रहा है। उत्सव के इस माह में झूलन यात्रा, बलराम जयंती, रक्षा बंधन और कृष्ण जन्माष्टमी जैसे महा उत्सव भक्तों के स्वागत के लिए तैयार हैं। इसी कड़ी में श्री श्री रुक्मिणी द्वारकाधीश मंदिर इस्कॉन, सेक्टर-13 में बुधवार से पाँच दिवसीय झूलन यात्रा महोत्सव का शुभारंभ होने जा रहा है। इसकी शुरुआत सायंकालीन दीप दान से होगी, जिसमें भगवान श्री कृष्ण की आरती कर इस अनुपम मानव जीवन के लिए आप उनका आभार व्यक्त कर सकते हैं।

झूलन की महिमा इतनी अद्भुत है कि जो इसे सुनता है, वह इसमें खो जाता है। बृज की सखियाँ श्रीमती राधारानी के लिए झूला सजाती हैं ताकि वे कृष्ण के संग उस पर बैठकर झूला झूलें और उनका मन प्रसन्न हो सके। राधारानी कृष्ण को निहारते हुए गाती हैं, ‘कब से वाट निहार रही आँखों में मोती वार रही, कब से वाट निहार रही आँखों में आँसू वार रही। मैंने तेरे लिए डारा, मैंने तेरे लिए डारा, हे श्याम झूलना, प्यारे नंद नंदना।’

श्रीमती राधारानी और गोविंद जी की झूलन यात्रा में शामिल होकर आप भी उनका भक्तिमय प्रेम और आशीर्वाद पा सकते हैं। विशेष तौर पर इस्कॉन द्वारका के यूट्यूब चैनल पर ऑनलाइन जुड़कर इस सुअवसर का लाभ उठाएँ।  मनमोहक श्रृंगार, रंग-बिरंगी सुसज्जित पोशाकों से सजे श्री राधा गोविंद असंख्य फूलों की खूशबू से सजी डोरी से जब आगे-पीछे झूले खाते हुए हिंडोले में झूलेंगे तो यह मनभावन दृश्य मानो अभिभूत कर देने वाला होगा। आपके चारों ओर राधा गोविंद के नाम का संकीर्त्तन, ‘जय जय श्री राधे, जय जय श्री राधे, जय जय श्री राधे श्याम…’ यकीनन आपको बृज की पावन भूमि पर ले जाएगा, जहाँ पाँच हजार साल पूर्व यह लीला रची गई थी।

झूलन यात्रा के बारे में कहा जाता है कि यह भगवान श्री कृष्ण की पवित्र लीला कथा है, जिसमें वे अपनी सबसे प्रिय भक्त राधारानी के दिव्य संग को पाने के लिए उन्हें अपने हाथों से झूला झुलाते हैं। झूलन यात्रा से जुड़ी भगवान की और भी कई लीलाएँ हैं, जो उन्होंने बृज में रचाईं। राधारानी का बार-बार रूठना और कृष्ण का उन्हें मनाने के कई प्रसंग बहुचर्चित हैं। एक बार कृष्ण राधा को मनाने के लिए श्यामा सखी का रूप धर कर बरसाना पहुँच गए और राधारानी के चरणों में बैठकर महावर लगाने लगे। जब राधारानी ने इसका विरोध किया और कहा कि मुझे इस पाप का भागी क्यों बनाते हो, तो वे कहने लगे, ‘हे राधे! तुम मेरी परम भक्त हो और जहाँ मेरा भक्त पाँव धरता है, वहाँ मैं अपना हाथ धर देता हूँ।’ जी हाँ, ऐसा प्रेम है कृष्ण का अपने भक्त के प्रति। ऐसे प्रेममयी भगवान की भक्ति, स्तुति में स्वयं को अर्पित करने का अवसर सौभाग्यशाली भक्तों को ही प्राप्त हो पाता है। इस तरह झूलन यात्रा के माध्यम से प्रिया प्रियतम का प्रेम यानि शुद्ध प्रेम क्या होता है, इसके बारे में हम बखूबी समझ सकते हैं।

एक विशेष बात यह भी है कि झूले को जीवनरूपी सुख और दुख के साथ भी जोड़कर देखा जाता है। झूले का आगे जाना खुशी का और झूले का पीछे जाना दुख का प्रतीक है। झूला एक बार आगे जाता है, एक बार पीछे जाता है। इसी तरह हमारे जीवन में सुख आए, तो समझो अब दुख आने वाला है। जब सुख आए तो अभिमान नहीं करना चाहिए और जब दुख आए तो रोना नहीं चाहिए। सुख और दुख की अवस्था में जो व्यक्ति सम होकर रहता है, वह इस संसार में सफल माना जाता है। इसलिए अगर सफलता को प्राप्त करना है तो भगवान की भक्ति करनी चाहिए। भक्ति अर्थात भजन करना। भक्ति से ही भगवान कृष्ण सबके ह्रदय में निवास करते हैं। सबके सामने प्रकट होते हैं और सबको प्राप्त होते हैं।

आप भी भजन करें, ‘हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे और इस महामंत्र को अपने जीवन का हिस्सा बनाइए।

प्रस्तुति-वंदना गुप्ता

इस खबर से सम्बंधित वीडियो देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें :-https://youtu.be/0BipQ5N3KhI 

आप चाहें तो यह खबरें भी पढ़ सकते है👇

1> ISKCON: कृष्ण प्रेम के लिए सुदामा सेवक बनें… https://dainikindia24x7.com/iskcon-be-sudamas-servant-for-the-love-of-krishna/

2> ओलिंपिक विजेताओं का “इस्कॉन” द्वारका में स्वागत है…https://dainikindia24x7.com/olympic-winners-welcome-at-iskcon-dwarka/

3>ISKCON:आजादी के 75वें साल का जश्न मनाएँ द्वारकाधीश के चरणों में… https://dainikindia24x7.com/iskcon-celebrate-75th-year-of-independence-at-the-feet-of-dwarkadhish/

Related Articles

Back to top button
Close