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“संपदा से सम्पन्न” यानि सेंगोल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 28 मई को नए संसद के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण कर उसे राष्ट्र को समर्पित करेंगे. इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी नए भवन में सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक चिह्न सेंगोल भी स्थापित करेंगे

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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को जानकारी देते हुए कहा कि ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को दोपहर 12 बजे नवनिर्मित संसद भवन राष्ट्र को समर्पित करेंगे। एक प्रकार से नया संसद भवन प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता का प्रमाण है, जो नए भारत के निर्माण में हमारी सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और सभ्यता को आधुनिकता से जोड़ने का एक सुंदर प्रयास है। आगे अमित शाह ने कहा कि इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 60 हजार श्रमयोगियों का भी सम्मान करेंगे, जिन्होंने संसद भवन के निर्माण में अपना योगदान दिया है।
गृहमंत्री अमित शाह आगे जानकारी देते हुए कहा कि नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित होगी. नवनिर्मित संसद में सेंगोल (राजदंड) को स्थापित किया जाएगा. इसका अर्थ होता है संपदा से संपन्न. जिस दिन राष्ट्र को समर्पित होगी, उसी दिन तमिलनाडु से आए विद्वानों द्वारा सेंगोल पीएम को दी जाएगी फिर संसद में ये परमानेंट स्थापित की जाएगी. इसे नई संसद में स्पीकर की कुर्सी के पास रखा जाएगा।
फ़िलहाल सेंगोल अभी इलाहाबाद(प्रयागराज) म्यूजियम में रखा गया है। इसे संसद भवन में स्पीकर की कुर्सी के बगल में रखा जाएगा।
सेंगोल की एतिहासिक जानकारी के मुताबिक “सेंगोल” चोल साम्राज्य की परंपरा रही है। जब भी कोई राजा बनाता था, उसे यह राजदंड दिया जाता था। सेंगोल का अर्थ होता है “संपदा से सम्पन्न”
अमित शाह ने जानकारी देते हुए कहा कि 14 अगस्त 1947 को रात 10:45 बजे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने सेंगोल अंग्रेजों से लिया था। तब इसे तमिलनाडु से मंगवाया गया था। अभी यह इलाहाबाद (प्रयागराज) के एक म्यूजियम में रखा गया है।
यह आजादी के अमृत महोत्सव का प्रतिबिंब होगा। गृहमंत्री शाह ने कहा कि, हालांकि 1947 के बाद कांग्रेस पार्टी ने इसे भुला दिया। कहीं भी इसका जिक्र नहीं होता था। बाद में 24 साल के बाद एक तमिल विद्वान ने इसकी चर्चा की। सरकारी डेटा में 2021-22 में इसका जिक्र मिलता है।
क्या है सेंगोल 
“सेंगोल शब्द संस्कृत के ‘संकु’ से लिया गया है। इसका मतलब शंख होता है। सेंगोल पर सबसे ऊपर नंदी हैं और बगल में कुछ कलाकृति बनी हैं। यह सोने और चांदी का बना होता है। भारत में सेंगोल का इतिहास काफी पुराना है। सबसे पहले मौर्य साम्राज्य (322-185 ईसा पूर्व) द्वारा इसका उपयोग किया गया था। इसके बाद गुप्त साम्राज्य (320-550 ईस्वी) फिर चोल वंश में आया। जहां इसका इस्तेमाल ज्यादा किया जाता था”।
अमित शाह ने आगे कहा कि 96 साल के जो तमिल विद्वान पंडित नेहरू को सेंगोल सौंपते समय मौजूद थे। 28 मई को भी वह संसद के नए भवन में सेंगोल के स्थापना के समय मौजूद रहेंगे।
-ओम कुमार
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