RRR RELEASE UPDATES: बाहुबली फेम डायरेक्टर राजामौली की RRR बॉक्स ऑफिस पर मचा रही धमाल
फिल्म में है साउथ के दो सितारें रामचरण और जूनियर एनटीआर
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नई दिल्ली. आरआरआर इस फिल्म का फैंस लम्बे समय से इंतजार फैंस कर रहे थे। इस फिल्म के आते ही सिनेमाघरों में भीड़ लगने लगी हैं। उम्मींद ये है कि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर जलवे बिखेरगी। वैसे कोरोना काल के कारण यह फिल्म की रिलीज़ डेट बढ़ती ही जा रही थी। आखिरकार यह फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज़ हो चुकी है।
फिल्म शुरुआत से लेकर अंत तक एक ऐसा अद्भुत विजुअल ट्रीट है कि आप अवाक होकर फिल्म के किरदारों, सिनेमेटोग्राफी, स्पेशल इफेक्ट्स, भव्य सेट और किरदारों के दमदार अभिनय के बीच गोते खाते जाते हैं। यह राजामौली की कल्पना का कमाल है कि फिल्म के किरदार असल हैं, मगर परिस्थितियां काल्पनिक हैं। अल्लूरी सीतारामा राजू और कोमाराम भीम इन दोनों महान क्रांतिकारियों को निर्देशक राजामौली ने अपनी काल्पनिक सोच से एक होकर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लोहा लेते दिखाया है। जो असल जिंदगी में कभी एक दूसरे से नहीं मिले थे। मगर कहानी में राजामौली ने उन्हें ऐसे पिरोया है कि वे इतिहास का एक अहम अंग प्रतीत होने लगते हैं। फिल्म की सबसे खास बात ये भी है कि राजमौली ने अपने नजरिए से देश ही नहीं बल्कि कहानी को भी धर्मनिरपेक्ष दर्शाया है।
कहानी 1920 के दशक में स्वंत्रता से पहले के आदिलाबाद जिले की है। तब देश अंग्रेजों की गुलामी से पीड़ित था। एक नहीं बच्ची मल्ली को अंग्रेज अपने साथ इसलिए उठा ले जाते हैं, क्योंकि उन्हें उसकी आवाज अच्छी लगती है। वहीं उनकी कौम का गड़रिया अर्थात रखवाला कोमाराव भीमुडो (जूनियर एनटीआर) उस नन्हीं बच्ची को अंग्रेजों के चंगुल से उठा ले जाने का बीड़ा उठाता है। दूसरी ओर ब्रिटिश सरकार में पुलिस अधिकारी के पद पर कार्यरत राम (रामचरण) का काम ब्रिटिश सरकार के खिलाफ बगावत और क्रांति का बिगुल बजाने वाले क्रांतिकारियों को पकड़कर कड़ी सजा देना है। राम इधर भीम को गिरफ्तार करने के मिशन पर निकल पड़ता है। अगर वह भीम को जिंदा गिरफ्तार कर लेगा, तो अंग्रेज सरकार उसे इनाम के रूप में स्पेशल पुलिस का पद दे देगी। इस अहम पद को पाने में राम का भी अपना एक गहरा और छुपा हुआ मकसद है। फिर हालात ऐसे बनते हैं कि राम और भीम एक-दूसरे की असलियत से बेखबर बहुत पक्के दोस्त बन जाते हैं। इतने पक्के कि एक-दूसरे पर जान न्योछावर कर दें। अब जब उन्हें यह पता चलेगा कि वे एक-दूसरे के दुश्मन हैं, तो क्या उनकी दोस्ती कायम रह पाएगी? क्या वे अपने मकसद को भूल जाएंगे? ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी। Read More: आज फिर बढ़े पेट्रोल-डीजल के दाम, चार दिन में 2.5 रु महंगा
राजमौली सिनेमा के उन फिल्मकारों में से हैं, जिन पर हमें गर्व होना चाहिए कि इंडियन सिनेमा में हमारे अपने किरदारों के साथ भी इस तरह के विजुअल इफेक्ट्स वाली फिल्में बन सकती हैं। निर्देशक ने दोनों ही किरदारों के इंट्रोडक्शन सीन को कुछ इस तरह सजाया है कि आप जान जाते हैं कि इन किरदारों का मिजाज कैसा होगा। दोनों कलाकारों द्वारा पानी से बच्चे को बचाया जाने वाला सीन हो, या अंग्रेजों से लोहा लेने वाले दृश्य, हर सीन आपकी सांस रोक देता है।दर्शक के तौर पर कभी आप चीखते हैं, तो कभी सीटी या ताली बजाते हैं। फिल्म का फर्स्ट हाफ बहुत मजबूत है। आप उत्तेजना के प्रवाह में बहते जाते हैं,मगर सेकंड हाफ में कहानी थोड़ी खिंच जाती है, हालांकि विजुअल्स और स्पेशल इफेक्ट्स उस कमी को ढक लेते हैं।
फिल्म की लंबाई थोड़ी कम की जा सकती थी। कहानी महज दो बिंदुओं पर ही चलती है और इसके कारण उसका विस्तार कम प्रतीत होता है। कई बार भव्यता कहानी पर भारी पड़ती नजर आती है। राम चरण का भगवा धोती पहनकर तीर और धनुष के साथ भगवान राम के रूप में आकर अंग्रेजों के संहार का सीन खास बन पड़ा है। हालांकि राजामौली कहीं न कहीं हमें अपने मूल से जोड़ते हैं और क्लाइमेक्स तक आते-आते वे एक क्रिएटिव पर्सन के रूप में ये मेसेज देना नहीं भूलते कि आजादी की लड़ाई में हर धर्म और समुदाय का योगदान था। क्लाइमैक्स फिल्म का सबसे बड़ा प्लस पॉइंट है और एक्शन को अनोखा कहें तो गलत न होगा। संगीत की बात करें तो एमएम किरवानी के संगीत में ‘नाचो नाचो’ गाना देखने में अच्छा लगता है। अंत में फिल्म का क्रेडिट सॉन्ग आई कैंडी साबित होता है। हां, फिल्म का संगीत ‘बाहुबली’ जितना ब्लॉक बस्टर शायद न हो। विजुअल इफेक्ट्स में वी श्रीनिवास मोहन ने भव्यता और क्रिएटिविटी में कोई कसर नहीं छोड़ी है।