Sri Lanka Emergency: आर्थिक संकट के बीच राष्ट्रपति गोटबाया ने हटाया आपातकाल, जनता में अब भी गुस्सा
श्रीलंका के राष्ट्रपति सचिवालय ने कहा कि शुक्रवार आधी रात से देश में आपातकाल की स्थिति हटा ली गई है। माना जा रहा है कि देश में कानून व्यवस्था की स्थिति को सुधारने के लिए ये कदम उठाया गया है।
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COLOMBO: श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने करीब दो हफ्ते बाद देश में इमरजेंसी हटाने की घोषणा कर दी है। सरकार के खिलाफ भारी विरोध के चलते राष्ट्रपति गोटबाया ने 6 मई की आधी रात को देश में आपातकाल का ऐलान कर दिया था। हीरू न्यूज के मुताबिक राष्ट्रपति सचिवालय ने कहा कि शुक्रवार आधी रात से देश में आपातकाल की स्थिति हटा ली गई है। माना जा रहा है कि देश में कानून व्यवस्था की स्थिति को सुधारने के लिए ये कदम उठाया गया है। आपातकाल के दौरान पुलिस और सुरक्षा बलों के पास मनमाने ढंग से लोगों को गिरफ्तार करने और हिरासत में लेने का अधिकार था।
राजपक्षे परिवार है दोषी
दरअसल श्रीलंका में एक बड़ी आबादी जबर्रदस्त आर्थिक संकट के पीछे राजपक्षे परिवार को दोषी मानता है। यही वजह है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर जनता सड़कों पर निकल गई और जमकर हिंसा हुई। इसे देखते हुए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने देश में आपातकाल लागू करने की घोषणा कर दी थी। प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे के इस्तीफे के बाद देश में सरकार समर्थक और सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में 9 लोगों की मौत हुई थी जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
अपने खराब दौर से गुजर रहा श्रीलंका
गौरतलब है कि 1948 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। यह संकट आंशिक रूप से विदेशी मुद्रा की कमी के कारण हुआ है, जिसका मतलब है कि देश खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर सकता। श्रीलंका में मुद्रास्फीति की दर 40 प्रतिशत तक पहुंचने वाली है। भोजन, ईंधन और दवाओं की कमी के अलावा बिजली संकट के चलते जनता आक्रोशित है और सरकार के खिलाफ खुलकर खड़ी हो गई है