PETROL DIESEL PRICE: हरदीप पुरी ने कहा उपभोक्ताओ को राहत देने के लिए वैट घटाए राज्य सरकारें
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नई दिल्ली. पिछले दस दिनों से केंंद्र सरकार ने पेट्रोल डीजल के दामों में बढ़ोतरी नही की है। वही सीएनजी के दामों में भी बढ़ोतरी लगातार हो रही है। लेकिन हम आपको बता दे की पिछले माह के पुर्व तक पेट्रोल डीजल के दामों में 117 दिनों तक स्थिर रहने के बाद लगातार कीमतोंं में उछाल देखने को मिल रहा है। जिसके बाद लगातार केंद्र सरकार सवालों के घेरे में है। इस दौरान केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि उपभोक्ताओं को राहत के लिए केंद्र सरकार राज्यों से पेट्रोल और डीजल पर मूल्यवर्धित कर (वैट) घटाने की अपील कर रही है।
हरदीप पुरी एक दिन की यात्रा पर छत्तीसगढ़ के महासमुंद के दौरे पर थे। इसे केंद्रीय योजना के तहत ‘आकांक्षी जिलों’ में रखा गया है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर राष्ट्रीय स्तर पर मनाए जा रहे ‘सामाजिक न्याय पखवाड़ा’ के तहत विभिन्न सरकारी योजनाओं की समीक्षा के लिए यहां आए थे।
पुरी ने कहा, ‘‘हमारा प्रयास पेट्रोल और डीजल की कीमतों को नियंत्रण में रखने का है। इसी वजह से केंद्र ने पिछले साल पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क घटाया था। केंद्र ने राज्यों से भी ऐसा करने को कहा था.” पुरी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पेट्रोल और डीजल पर वैट 24 प्रतिशत है. ‘‘यदि इसे घटाकर 10 प्रतिशत किया जाता है, तो कीमतें स्वत: नीचे आ जाएंगी। जब खपत बढ़ रही हो, तो 10 प्रतिशत वैट भी काफी ज्यादा है।” उन्होंने कहा, ‘‘न मैं वित्त मंत्री हूं और न ही अंतरराष्ट्रीय कीमतों को नियंत्रित करता हूं। अभी हमारी कोशिश है कि केंद्र सरकार की जो जिम्मेदारी है उसे वह निभाएगी और राज्यों की सरकारों से अपील की जा रही।” Read More: रूस की अमेरिका को चेतावनी- अगर यूक्रेन की मदद की तो अच्छा नहीं होगा
पुरी ने इस बात का उल्लेख किया कि भाजपा शासित सभी राज्यों ने पेट्रोल और डीजल पर वैट घटाया है। उन्होंने पिछले ढाई वर्ष से ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत राशि नहीं मिलने के सवाल पर कहा कि शहरी क्षेत्रों में कोई समस्या नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या है और राज्य सरकार से इस विषय में बात की जाएगी। राज्य में केंद्रीय मंत्री के दौरे को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि वह राज्य में राजनीति करने और अपनी जमीन तलाशने आए हैं। बघेल ने संवाददाताओं से कहा कि केंद्रीय मंत्री यहां के आकांक्षी जिलों का भ्रमण करने निकले हैं। भारत सरकार इन आकांक्षी जिलों को अतिरिक्त पैसा नहीं देती है। बस्तर क्षेत्र के सात जिले नक्सल प्रभावित हैं और आकांक्षी जिले हैं। उन्हें वर्ष 2021 तक प्रतिवर्ष 50 करोड़ रुपये मिलता था, उसे बंद कर दिया गया है।