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राजधानी दिल्ली वाले अब ग्राम श्री मेलों की तर्ज़ पर देखेंगे सरस मेला 

2022 में लगे सरस फ़ूड फ़ेस्टिवल की लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है। सोशल मीडिया में सरस फ़ूड फ़ेस्टिवल के लाखों चहेतों ने इसे एक सफल आयोजन बताया।  

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भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय और कपार्ट के वरिष्ठ अधिकारियों ने ग्रामीण उत्पादों की मार्केटिंग की संभावनाओं पर एक बैठक की थी। इस बैठक में मुख्य मुद्दा ग्रामीण उत्पादों के लिए एक विस्तृत बाज़ार की संभावना की तलाश करना था। इस मुद्दे पर लंबी चर्चा के बाद यह फ़ैसला हुआ कि ग्राम श्री मेलों की तर्ज़ पर सरस मेले का आयोजन देश की राजधानी दिल्ली में किया जाए। ग़ौरतलब है कि इससे पूर्व ग्रामीण विकास मंत्रालय का स्वायत्तशासी संस्थान कपार्ट देश भर ग्राम श्री मेलों का आयोजन करता था। कपार्ट में 1989 में ही मार्केटिंग डिविज़न की स्थापना की जा चुकी थी। 1999 के अक्टूबर माह में दिल्ली के विज्ञान भवन में पहला सरस आयोजित हुआ। जिसमें विशेषकर क़रीब 15 राज्यों के ग़ैर सरकारी संगठनों से जुड़े हस्तशिल्प कलाकारों ने भाग लिया। इस दौरान दिल्ली के लोगों को ग्रामीण उत्पादों के हस्त शिल्पियों से सीधे रूबरू होने और ग्रामीण उत्पादों को क़रीब से जानने का मौक़ा मिल सके। यहीं से पहले सरस की नींव पड़ी और बाद में इसी वर्ष प्रगति मैदान में सरस इवेंट का आयोजन किया गया। धीरे-धीरे शुद्ध रूप से ग्रामीण उत्पादों की बिक्री का बड़ा प्लेटफ़ॉर्म सरस बन कर उभरा है।
     शुरुआती दौर में सरस के आयोजकों के सामने ग्रामीण उत्पादों की अच्छी पैकेजिग एक बड़ी समस्या बनी रही, बाद में कपार्ट और ग्रामीण विकास मंत्रालय ने संयुक्त रूप से देश के विभिन्न राज्यों में ग़ैर सरकारी संगठनों के माध्यम से पैकेजिग व मूल्य निर्धारण पर बड़े स्तर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए।  2003 आते आते सरस ग्राहकों की पहली पसंद बन गया।  2005 में विज्ञान भवन में हुए एक कार्यक्रम में ‘दिल्ली डिक्ल्रेशन नाम से जो मसौदा तैयार हुआ उसमें ग्रामीण उत्पादों के विभिन्न प्रकारों की पहचान भी एक  मुद्दा था। बाद में क़रीब 60 उत्पादों पर एक व्यापक सहमति बनी जो सरस की मूल पहचान बन सकते थे। विभिन्न चुनौतियों को झेलती सरस की यात्रा चलती रही। वर्ष 2008 आते आते विभिन्न राज्यों ने अपने अपने स्तर पर ग्रामीण उत्पादों के बाज़ार को तलाशना शुरू कर दिया था।
     सरस ग्रामीण उत्पादों का एक बड़ा प्लेटफ़ॉर्म बन चुका था।  2012 में ग्रामीण महिलाओं के लिए एक व्यवस्थित विभाग की स्थापना पर विचार विमर्श होने लगा। मंत्रालय व कपार्ट के वरिष्ठ अधिकारियों की लंबी-लंबी बैठके होने लगी। उसके बाद विभिन्न राज्यों में महिलाओं के रोज़गार संबंधी नवीन प्रयोग किए जाने लगे। मार्केट प्रोफेशनल्स से लेकर आजीविका मिशन के विभिन्न आयाम गढ़े गये। बैंकों से लोन की सुविधा से लेकर ज़मीनी स्तर पर महिलाओं की सशक्तिकरण की दिशा में सार्थक प्रयास होने लगे। दूसरी तरफ़ सरस मेलो के लेआउट से लेकर डिज़ाइन आदि में भी सुधार किया जाने लगा।
      2015 तक आते-आते सरस मेलों के स्टालो की माँग ज़्यादा होने लगी। महिलाओं की बढ़ती भागीदारी के कारण सरस मेले लगभग कम पड़ने लगे। इसी दौरान राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अधिकारियों ने ई-मार्केटिंग की दिशा में अपने कदम बढ़ाए जिसके परिणाम सकारात्मक रहे। इसी दौरान कपार्ट ने सरस मेलों के दौरान महिलाओं के लिए डिज़ाइनिग,पैकेजिग जैसे विषयों पर कार्यशालाएँ आयोजित करना शुरू कर दिया, जिससे ग्रामीण महिलाएँ नवीन जानकारियों से वाक़िफ़ हो सके।
     “इंडिया गेट सरस” को लगभग भारत सरकार के हर विभाग के अधिकारियों ने विज़िट किया। सरस आयोजन के इतिहास में इंडिया गेट सरस एक मील का पत्थर साबित हुआ। यहाँ लगे फ़ूड कोर्ट ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया। इसके बाद नोएडा सरस, गुरुग्राम सरस ने भी शानदार भूमिका अदा की।
      2022 में लगे सरस फ़ूड फ़ेस्टिवल की लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है। सोशल मीडिया में सरस फ़ूड फ़ेस्टिवल के लाखों चहेतों ने इसे एक सफल आयोजन बताया।
     सरस 25वें साल में प्रवेश कर गया। इसको इस मंज़िल तक पहुँचाने में सैंकड़ों अधिकारियों का योगदान है। राष्ट्रीय ग्रामीण विकास व पंचायती राज संस्थान (पूर्व में कपार्ट) व ग्रामीण विकास मंत्रालय की सूझबूझ की बदौलत सरस आज देश की सबसे बड़ी अनुशासित इवेंट मानी जाती है। देश भर में 70 सरस और दिल्ली में 5/6 सरस मायने रखते है। पिछले दो वर्षों से राष्ट्रीय ग्रामीण विकास व पंचायती राज संस्थान ने महिलाओं को बड़े प्रोफेशनल तरीक़े से मार्केटिंग के प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किये हैं। निश्चित तौर पर इससे सरस की शान में चार चाँद लगेंगे। फ़िलहाल सरस की यह शानदार यात्रा जारी है। सरस के माध्यम से लाखों करोड़ों महिलाओं के जन जीवन में सुधार आया है।
-ओम कुमार

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