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इस मिट्टी की सौगंध खाकर हमारे वीरों ने आजादी की लड़ाई लड़ी -पीएम मोदी

केन्‍द्र शासित प्रदेशों और राज्यों के प्रतिनिधियों की ओर से ‘एक भारत-श्रेष्‍ठ भारत’ की भावना को प्रतिबिंबित करते हुए अलग-अलग हिस्सों की मिट्टी को एक कलश में डालकर देश की राजधानी दिल्ली लाया गया

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देश के प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी मंगलवार 31 अक्टूबर को कर्तव्‍य पथ पर ‘मेरी माटी-मेरा देश’ अभियान के तहत देश भर में आयोजित ‘अमृत कलश यात्रा’ के समापन कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, केंद्रीय मंत्री जयकिशन रेड्डी, केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल और नई दिल्ली लोकसभा सीट से सांसद और केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी मौजूद रही।
     प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्यक्रम के दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों से लाई गई मिट्टी को एक विशालकाय अमृत कलश में अर्पित किया  और उस मिट्टी का तिलक अपने माथे पर लगाया। केन्‍द्र शासित प्रदेशों और राज्यों के प्रतिनिधियों की ओर से ‘एक भारत-श्रेष्‍ठ भारत’ की भावना को प्रतिबिंबित करते हुए अलग-अलग हिस्सों की मिट्टी को एक कलश में डालकर देश की राजधानी दिल्ली लाया गया।
     प्रधानमंत्री नरेन्द्र ने इस कार्यक्रम के दौरान वहां मौजूद सभी लोगों के साथ मिलकर ‘पंच प्रणों’ के आह्वान के अनुरूप भारत को 2047 तक आत्मनिर्भर और विकसित राष्ट्र बनाने के सपने को साकार करने, गुलामी की मानसिकता को जड़ से उखाड़ फेंकने और देश की समृद्ध विरासत पर गर्व करने की शपथ ली। प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित वहां मौजूद सभी केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों व नेताओं ने भी ये शपथ ली।
     ‘मेरी माटी-मेरा देश’ कार्यक्रम में शामिल होने के लिए देश के अलग-अलग राज्यों से आए हजारों अमृत कलश यात्रियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि “जैसे दांडी यात्रा शुरू होने के बाद देशवासी उससे जुड़ते गए, वैसे ही आजादी के अमृत महोत्सव ने जनभागीदारी का ऐसा हुजूम देखा कि नया इतिहास बन गया।”
     प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सम्बोधन में कहा कि “यह हमारे लिए सुदामा की पोटली में रखे चावलों की तरह है। जैसे पोटली के चावल की उस मुट्ठी में एक लोक संपत्ति समाहित थी। वैसे ही इन हजारों अमृत कलशों में देश के हर परिवार के सपने, आकांक्षाएं और अनगिनत संकल्प हैं। देश के हर घर,आंगन से जो मिट्टी यहां पहुंची है। वो हमें कर्तव्य भाव की याद दिलाती रहेगी।”
     प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस कार्यक्रम के दौरान लोगों को इस मेरी माटी-मेरा देश का महत्व बताते हुए कहा कि “बड़ी-बड़ी सभ्यताएं समाप्त हो गईं, लेकिन भारत की मिट्टी में वह चेतना और प्राण शक्ति है, जिसने इस राष्ट्र को अनादि काल से आज तक बचा कर रखा है। यह वह माटी है, जो देश के कोने-कोने से आत्मीयता और आध्यात्मिक हर प्रकार से हमारी आत्मा को जोड़ती है। इस मिट्टी की सौगंध खाकर हमारे वीरों ने आजादी की लड़ाई लड़ी। देश भर के कोने से जो मिट्टी यहां पहुंची है, वह हमें कर्तव्य भाव की याद दिलाती रहेगी। यह मिट्टी विकसित भारत के हमारे संकल्प के सिद्धि के लिए और अधिक परिश्रम को प्रेरित करती रहेगी।”
     प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने सम्बोधन में आगे कहा कि “सौगंध मुझे इस मिट्टी की, हम भारत भव्य बनाएंगे। मिट्टी के साथ-साथ देशभर से जो पौधे लाए गए हैं, उन्हें मिलाकर यहां अमृत वाटिका बनाई जा रही है। ‘मेरा युवा भारत’ प्लेटफॉर्म और ‘माई भारत’ (MY Bharat) देश की युवाशक्ति का उद्घोष है। यह देश के हर युवा को एक मंच पर लाने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनेगा। युवाओं के लिए जो अलग-अलग प्रोग्राम चलते हैं, वे सभी इसमें समाहित होंगे।
     जानकारी के लिए बता दें कि ‘मेरी माटी-मेरा देश’ अभियान के तहत उन वीरों और वीरांगनाओं को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है। जन भागीदारी की भावना वाले इस अभियान के अंतर्गत, पूरे देश में पंचायत / गांव, ब्लॉक, शहरी स्थानीय निकाय, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली कई गतिविधियां और समारोह शामिल हैं। इन गतिविधियों में सर्वोच्च बलिदान देने वाले सभी वीरों का हार्दिक आभार जताने के लिए शिलाफलकम (स्मारक) बनाना, शिलाफलकम में लोगों द्वारा ‘पंच प्राण’ प्रतिज्ञा लेना, स्वदेशी प्रजातियों के पौधे लगाना और ‘अमृत वाटिका’ (वसुधा वंदन) बनाना और स्वतंत्रता सेनानियों और शहीद स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों (वीरों का वंदन) के सम्मान के लिए अभिनंदन समारोह शामिल थे।
     ‘मेरी माटी-मेरा देश’ अभियान को देश भर में भारी सफलता मिली। 36 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में 2.3 लाख से ज्यादा शिलाफलकम का निर्माण हुआ। लगभग 4 करोड़ पंच प्राण प्रतिज्ञा सेल्फी अपलोड की गई। देशभर में 2 लाख से अधिक ‘वीरों का वंदन’ कार्यक्रम हुए। 2.36 करोड़ से अधिक स्वदेशी पौधे लगाए गए और देश भर में वसुधा वंदन थीम के अंतर्गत 2.63 लाख अमृत वाटिकाएं निर्मित की गई।
-ओम कुमार
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