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Marital Rape: मैरिटल रेप अपराध है या नहीं? फैसले पर बंटे दिल्‍ली हाईकोर्ट के जज, सुप्रीम कोर्ट जाएगा मामला

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नई दिल्ली. लंबे समय से वैवाहिक बलात्कार यानि मैरेटिएल रेप का मुद्दा चर्चा में रहा है। कई पक्षों का मानना है कि यह बलात्कार है । कुछ का मानना है कि यह बलात्कार नहीं है। इस विषय पर याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय दिल्ली में जनहित याचिका दायर की जिसमें दो जजो की बेंच में दोनो एकमत नहीं हो पाए।

जजो का ये है कहना

दिल्ली हाई कोर्ट ने सभी याचिकाकर्ताओं से सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए कहा है। अब इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होगी। मैरिटल रेप अपराध के दायरे में लाने को लेकर हाईकोर्ट के जज एकमत नहीं हो सके। जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस हरिशंकर की राय अलग-अलग पायी गयी है।  असल में एक जज ने मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने को असंवैधानिक बताया है तो दूसरे जज ने कहा कि असंवैधानिक नहीं है।

क्या था मामला

एक गैर सरकारी संगठन यानि एनजीओ ने यह याचिका वर्ष 2015 में उच्च न्यायालय में दी थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि स्त्री के शरीर पर स्री का ही पुरा हक है या उसके पति का भी हक है । लेकिन अब तक उच्च न्यायालय तय नहीं कर पाया की मैरिटीयल रेप गैर कानुनी है या नहीं। Read More: आखिर क्यों हिंदु संगठन चाहते है कुतुब मीनार का नाम विष्णु स्तंभ, जाने पूरा मामला

क्या होता है मैरेटियल रेप 

वैवाहिक बलात्कार विवाह के बाद घरेलु हिंसा के तौर पर पत्नि पर संभोग करना ही वैवाहिक बलात्कार होता है। इसमें पत्नि के मर्ज़ी के बिना या बिना सहमति के सेक्स करना, अनल सेक्स करने  व ज्यादति करना मैरेटियल रेप  होता है। वैवाहिक बलात्कार को घरेलू हिंसा और यौन शोषण का एक रूप माना जाता है। लेकिन पहले से लेकर आज तक पत्नि के जिस्म को पति का अधिकार कहा गया है। 

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