साहित्य मंच: विलनिअस की बहुभाषिक धरोहर पर व्याख्यान
साहित्य अकादमी और लिथुआनिया दूतावास के संयुक्त तत्वावधान में साहित्य मंच कार्यक्रम में विलनिअस की बहुभाषिक और बहुसांस्कृतिक विरासत पर व्याख्यान
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साहित्य अकादमी और भारत में लिथुआनिया गणराज्य (Republic of Lithuania) के दूतावास के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित साहित्य मंच कार्यक्रम में लिथुआनिया के पूर्व संस्कृति मंत्री और विलनिअस यूनिवर्सिटी के भाषाशास्त्र संकाय अध्यक्ष, मिंडौगस क्वितकौस्कस ने अपनी गहन जानकारी साझा की। उन्होंने अपने व्याख्यान में बहुभाषिक और बहुसांस्कृतिक शहर विलनिअस की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्मृतियों पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में क्वितकौस्कस ने पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से विभिन्न चित्रों और सूचनाओं का उपयोग करते हुए बताया कि लिथुआनिया में लगभग 20 भाषाएँ बोली जाती हैं, जिनमें 12 प्रमुख भाषाएँ शामिल हैं। इनमें पोलिश, जर्मन, लैटिन, हिब्रू, रूसी, कतर, लिथुआनिआई और रोमानियन प्रमुख हैं। उन्होंने बताया कि इन भाषाओं का महत्व और उपयोगिता युद्ध, व्यापार और राजनीतिक उतार-चढ़ाव के साथ घटती-बढ़ती रही है।
क्वितकौस्कस ने चार प्रमुख आधुनिक लिथुआनियाई लेखकों के साहित्यिक आंदोलनों का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे इन आंदोलनों ने विलनिअस में बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक परिवेश तैयार किया। उन्होंने प्रसिद्ध कवयित्री जुडिता के बारे में भी चर्चा की, जिन्होंने अपने काव्य में आधुनिक लिथुआनियाई साहित्य में पूर्वजों की पीड़ा को प्रस्तुत किया है।
कार्यक्रम की शुरुआत में साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने अपने स्वागत वक्तव्य में कहा कि कोई भी बहुभाषिक और बहुसांस्कृतिक संस्कृति तब तक ही जीवंत रहती है जब तक उसमें परस्पर स्वस्थ संवाद बना रहता है। यह संवाद ही इस परिवेश को उन्नत और लोकप्रिय बनाता है।
भारत में लिथुआनिया की राजदूत डॉ. डायना ने अपने वक्तव्य में कहा कि दिल्ली, जो स्वयं एक बहुभाषिक और बहुसांस्कृतिक शहर है, में यह व्याख्यान और भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि दोनों शहरों की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि एक दूसरे को चिह्नित करती है।
इस कार्यक्रम में कई महत्वपूर्ण लेखक, अनुवादक, राजदूत, प्रकाशक और राजनयिक उपस्थित थे। इस अद्वितीय आयोजन ने भारत और लिथुआनिया के बीच सांस्कृतिक संवाद (Cultural Dialogue) को और भी मजबूत किया है।