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आइए जाने सुहागिन स्त्रियां कब करेंगी, वट सावित्री की पूजा
वट की जड़ में ब्रहमा, तना में भगवान विष्णु और पत्तियों और डालियों में भगवान शिव का निवास होता है।

इस बार वट सावित्री की पूजा 19 मई को मनाया जाएगा। हर भारतीय सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री की पूजा (Vat Savitri Puja)करती हैं। यह व्रत हर साल जयेष्ठ महीने के अमावस्या को किया जाता है……..
कहा जाता है कि सावित्री ने वट वृक्ष की पूजा करके यमराज से अपने पति को वापस पा लिया था। तभी से पति की लंबी आयु के लिए इस दिन स्त्रियां वट वृक्ष की पूजा अर्चना करती हैं। इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो किसी को मालूम नहीं है, भारतीय संस्कृति में वट सावित्री व्रत का विषेष महत्व माना जाता है। इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। उस दिन सुहागिन स्त्रियां अपने अखंड सौभाग्य के लिए पूजा करती हैं। इस वृक्ष के बारे में ऐसी मान्यता है कि इसे अनश्वर वृक्ष माना जाता है। इसीलिए महिलाएं पति की दीघायु और अपने परिवार की सुख, शांति और समृद्धि के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि वट की जड़ में ब्रहमा, तना में भगवान विष्णु और पत्तियों और डालियों में भगवान शिव का निवास होता है। इस दिन स्त्रियां नए वस्त्र धारण करती हैं और फल, मिठाई और पंखा से पूजन करती हैं और जल चढ़ाकर वृक्ष की परिक्रमा करते हुए एक सौ आठ बार या यथा शक्ति सूत लपेटती हैं और अपने पति के लंबी आयु के लिए मंगल कामना करती हैं। इस पूजा में सुहाग की सभी चीजें चढ़ाई जाती हैं। पूजा करने के बाद ही जल ग्रहण करती हैं।
अगर आप मंदिर नहीं जा सकती हैं, उस मंदिर में बरगद का पेड़ (वट वृक्ष) नहीं है तो आप कहीं से बरगद के पेड़ की एक टहनी लाकर अपने गमले में लगा कर आप पूजा कर सकते है।
प्रस्तुति -संध्या रानी
प्रस्तुति -संध्या रानी