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“कुसुम सरोवर” हुआ रोशनमय

सिग्निफाई ने कुसुम सरोवर परिसर को सफेद एलईडी लाइटिंग से रोशन किया

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भारत स्तिथ उत्तर प्रदेश के कृष्णमय ऐतिहासिक शहर मथुरा में कुसुम सरोवर परिसर को अपने कलर काइनेटिक्स मोनोक्रोम व्हाइट एलईडी सिस्टम का उपयोग करके रोशन किया है। सिग्निफाई ने इस ऐतिहासिक परिसर में रात के पर्यटन को बढ़ावा देने और इसकी स्थापत्य सुविधाओं को बढ़ाने के लिए परिसर को सफेद रंग की 618 एलईडी लाइट पॉइंट प्रदान की। इस परियोजना को कंपनी द्वारा उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की मदद से पूरा किया गया है।

          इस प्राचीन परिसर में विभिन्न वास्तुशिल्प के महत्व को उजागर करने के लिए प्रकाश व्यवस्था को सावधानीपूर्वक डिजाइन किया गया है। इससे आगंतुकों को रात में इसकी भव्य वास्तुकला, गुंबदों, अलंकृत स्तंभों, उद्यानों और झील का एक अनूठा दृश्य मिलता है। सफेद रोशनी और संकीर्ण बीम लेंस के कई रंग इसकी विभिन्न वास्तुशिल्प विशेषताओं और जल निकाय को उजागर करते हैं। प्रकाश व्यवस्था, पानी और स्मारक के बीच की अन्तःक्रियाएं परिसर के एकदम प्रवेश द्वार से ही आगंतुक के लिए दृश्यात्मक ताज़गी का अनुभव पैदा करती हैं और इस स्थल के पौराणिक महत्व पर बल देने वाले विवरण की रचना करती हैं।

          भारत में सिग्निफाई के परिचालन के वाईस प्रेसिडेंट और प्रबंध निदेशक, सुमित पद्माकर जोशी ने कहा कि, “सिग्निफाई में हम भारतीय शहरों को कम ऊर्जा का उपयोग और परिचालन लागत को घटाकर एलईडी लाइटिंग के सहारे पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन स्थल विकसित करने में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कुसुम सरोवर परिसर ऐतिहासिक रूप से एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है जिसका पवित्र शहर मथुरा के साथ गहरा संबंध है। हमें इस परियोजना का हिस्सा बनने पर गर्व है और हमारे कलर काइनेटिक्स सॉल्यूशन का उपयोग इस स्मारक की सुंदरता और महिमा को जीवंत करने में मदद करेगा।”
       प्रकाश व्यवस्था में विश्व में अग्रणीसिग्निफाई (यूरोनेक्स्ट:लाइट) इसके पहले रंगीन काइनेटिक्स का उपयोग करके राष्ट्रपति भवन, कुतुब मीनार, हावड़ा ब्रिज और सोमनाथ मंदिर को जगमगा चुका है। यह नवीनतम परियोजना ऐतिहासिक स्मारकों की विस्तृत सूची में शामिल हो गई है।

                     कुसुम सरोवर मथुरा के नागरिकों और तीर्थयात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक प्रतीक है

 भारत में उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में मानसी गंगा और राधा कुंड के बीच पवित्र गोवर्धन पहाड़ी पर जाट नेता महाराजा सूरज मल ने अपनी रानी, किशोरी रानी के लिए 18वीं शताब्दी में बलुआ पत्थर का स्मारक बनाया था। वार्षिक गोवर्धन परिक्रमा यात्रा के दौरान यहाँ हर साल लाखों तीर्थयात्री आते हैं। ऐतिहासिक  स्थलचिह्न देवता भगवान कृष्ण से जुड़ी कई किंवदंतियों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ महाराजा सूरज मल की एक छतरी है जिसके दोनों तरफ उनकी दो पत्नियों की दो छोटी-छोटी छतरियाँ शोभायमान है। यहाँ स्थापत्य और नक्काशी छिदे हुए पत्थर की शैली में हैं और स्मारक की छत को सुंदर चित्रों से सजाया गया है जो भगवान कृष्ण के जीवन को दर्शाते हैं।

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