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भारत विश्व में सभी लोकतंत्रों की जननी है
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानन्द जी के 159वें जन्मदिवस पर शुरू हुए कार्यक्रम
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जेएनयू के रेक्टर प्रोफेसर राणा प्रताप सिंह ने बताया कि विवेकानंद जी की मूर्ति स्थापना के बाद जेएनयू में कई सारे कार्यक्रम हुए हैं जिसमें जेएनयू समुदाय की प्रतिभागिता में निरंतर वृद्धि हो रही है। विवेकानन्द जी के कई विचारों को रखते हुए उन्होंने आगे कहा कि सनातन धर्म की जड़ों को मजबूत करने में स्वामी जी का बहुत बड़ा योगदान है। कुलपति जगदेश कुमार ने कहा कि माननीय प्रधानमन्त्री मोदी जी ने यूएन की जनरल असेंबली में कहा कि भारत विश्व में सभी लोकतंत्रों की जननी है। उन्होंने आगे कहा कि स्वामी विवेकानंद जी ने युवाओं से कहा था कि हमें अपने-अपने बारे में एक व्यक्ति की तरह न सोचकर अपने आसपास के लोगों को भी विचार में रखना होगा। उन्होंने सेवा को सबसे बड़ा धर्म बताया। कुलपति जी ने आगे कहा कि हमें क्षेत्र, जाति और धर्म को छोड़कर एक साथ खड़े रहकर स्वामी विवेकानन्द जी के सन्देश को समझने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. सच्चिदानन्द जोशी ने कहा कि प्रधानमन्त्री जी ने विवेकानन्द जी की प्रतिमा का अनावरण किया और आज उनकी प्रेरणा से ही ये कार्यक्रम हो रहा है एवं आगे भी होना चाहिए। स्वामी जी भारत के प्रथम वैश्विक नागरिक थे। मार्शल मैकलुहान का 1964 में दिया गया ‘ग्लोबल कम्युनिकेशन विलेज’ का सिद्धान्त आज सत्य प्रतीत हो रहा है। उन्होंने आगे कहा कि विश्व में शक्ति की संकल्पना बदल रही है। फेसबुक भी एक देश के सामान हो गया है जिसमें 60 करोड़ लोग एक पटल पर जुड़े हुए हैं। हमें वैश्विकता के सिद्धांत एवं विश्व बंधुत्व की अवधारणा को समझना होगा। आज से इतने वर्ष पूर्व जब संसाधन या तो नहीं थे या अत्यन्त सीमित थे, तब एक व्यक्ति का इतनी दृढ इच्छाशक्ति रखना कि वो विश्व पटल पर जाकर भारत के सनातन की बात रखे एवं वेदान्त की व्याख्या करे, यह विचारणीय है। उन्होंने न केवल शिकागो में अपितु विश्व के अनेक देशों में अपनी बात कही और उनकी निरंतरता देखने योग्य है। उन्होंने कहा कि ध्यान देने योग्य बात है माननीय प्रधानमन्त्री जी अपने वक्तव्यों में भारत को विश्वशक्ति न बोल कर विश्व गुरु बनाने की बात कहते हैं। दूसरे मुख्य अतिथि प्रो. रमेश राव ने कहा कि भारत की उच्चतर शिक्षा ने विवेकानन्द जी के संदेशों की शक्ति की अनुभूति करना प्रारम्भ कर दिया है। उन्होंने स्वामी जी के शिकागो सम्मलेन के भाषण के अतिरिक्त विश्व में कहाँ कहाँ उन्होंने क्या क्या और कार्य करके विश्व के महान व्यक्तियों को आश्चर्यचकित किया, इसका वर्णन किया।
आयोजन समिति के सदस्य डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री जी द्वारा बताए गए बिंदुओं के अनुसार हम हर साल की भांति आगे भी विवेकानंद जी के जन्मदिवस पर देश और विदेशों के जाने-माने शिक्षाविदों से शैक्षणिक चर्चा कराते रहेंगे जिससे युवाओं को स्वामी जी के बारे में जानने का अवसर मिलेगा।
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