Afganistan: तालिबान के राज में मानवाधिकार का उल्लघंन, एक और पत्रकार गायब
पत्रकारों के संगठन कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (सीपीजे) ने देश में मानवाधिकार के हनन पर चिंता जताई है। सीपीजे ने कहा कि तालिबान काबुल के पत्रकार अली अकबर खैरखाह के गायब होने के मामले की जांच कराए। महिला पत्रकारों को बगैर किसी दखल के काम करने की अनुमति दे।
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Afganistan की सत्ता में तालिबान के काबिज होने के बाद से मानवाधिकार उल्लंघन के मामले बढ़ गए हैं। महिलाओं के साथ पत्रकारों का भी उत्पीड़न किया जा रहा है। ऐसे हालात में राजधानी काबुल में एक और पत्रकार के गायब होने की खबर है। पत्रकारों के संगठन कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (सीपीजे) ने देश में मानवाधिकार के हनन पर चिंता जताई है।
सीपीजे ने कहा कि तालिबान काबुल के पत्रकार अली अकबर खैरखाह के गायब होने के मामले की जांच कराए। महिला पत्रकारों को बगैर किसी दखल के काम करने की अनुमति दे। सीपीजे के अनुसार, गत 19 मई को हेरात प्रांत में एक महिला पत्रकार से दुर्व्यवहार की खबर आई थी। तालिबान के सूचना और संस्कृति मामलों के निदेशक नैमुलहक हक्कानी ने पत्रकार मरजन वफा को प्रेस कांफ्रेंस से बाहर निकाल दिया था। प्रेस कांफ्रेंस में मरजन अकेली महिला पत्रकार थीं और उन्होंने बुर्का भी पहन रखा था। इसके बावजूद उन्हें निकाल दिया गया था। तालिबान राज में अब तक कई पत्रकारों के गायब होने की खबर सामने आ चुकी है।
जैश व लश्कर को मजबूत करने में जुटा तालिबान
अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत ने जो आशंका जताई थी, वह सही साबित होती नजर आ रही है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद पर रिपोर्ट ने तालिबान और पाकिस्तान के आतंकी रिश्तों को फिर सामने ला दिया है। तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत के खिलाफ आतंकी वारदात करने वाले आतंकी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को अफगानिस्तान में प्रशिक्षण देने का काम जोर-शोर से शुरू हो गया है।
अफगानिस्तान के सिर्फ नंगरहार जिले में ही आठ आतंकी प्रशिक्षण शिविर चलाए जा रहे हैं जिनमें से तीन शिविर पूरी तरह तालिबान आतंकियों की देख-रेख में चलाए जा रहे हैं। यूएनएससी की तरफ से गठित समिति की यह 13वीं रिपोर्ट है। बता दें कि यूएनएससी की उक्त समिति की पहले की रिपोर्ट में कहा गया है कि जैश और लश्कर काफी पहले से तालिबान को वित्तीय मदद और प्रशिक्षण दे रहे थे। अब जबकि तालिबान ने वहां सरकार बना ली है तो वह इन संगठनों की उसी तरह से मदद कर रहा है। जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा दोनों ही संयुक्त राष्ट्र की तरफ से आतंकवादी घोषित संगठन हैं।