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कड़ी मेहनत व अफसर बनने के जनून ने कॉन्स्टेबल से बना दिया ACP
"हिम्मत ए मर्दा, मदद ए खुदा" इस को सच कर दिखाया कॉन्स्टेबल से ACP बने फिरोज आलम ने...
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मूल रूप से उत्तर प्रदेश स्तिथ पिलखुवा के आजमपुर देहरा गाँव में जन्मे फिरोज आलम ने 12 वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वर्ष 2010 में बतौर कॉन्स्टेबल दिल्ली पुलिस में नौकरी शुरू की।
आपने सुना होगा कि “हिम्मत ए मर्दा, मदद ए खुदा” इसी को सच साबित किया कॉन्स्टेबल से एसीपी बने फिरोज आलम ने। उन्होंने साबित कर दिया कि हिम्मत और मेहनत से कोई कुछ भी कर सकता है और यही कमाल फ़िरोज़ आलम ने किया है दिल्ली पुलिस में सबसे छोटे पद पर कॉन्स्टेबल रहे फिरोज ने UPSC की परीक्षा पास की और अब वे दिल्ली पुलिस में ही एसीपी यानी असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ़ पुलिस बन गए हैं।लेकिन ये सफर इतना आसान भी नही था। फिरोज आलम बताते हैं कि वर्ष 2010 में दिल्ली पुलिस ज्वाइन करने के बाद से ही मैं अपने सीनियर्स अफसरों के कामकाज के तरिके और उनके रुतबे से बहुत ही ज्यादा प्रभावित हुआ। उन्हें देख कर मैंने भी ठान लिया कि मुझे भी अब अफसर बनना ही है और इसका एकमात्र जरिया है यूपीएससी। ऐसे में मैं कॉन्स्टेबल की नौकरी के साथ-साथ परीक्षा की त्यारियों में जुट गया। लेकिन ये इतना आसान भी नही था जैसा मैंने सोचा था, मैं पाँच बार परीक्षा में असफल रहा और अफसर बनने का ख्वाब लगभग मैंने छोड़ ही दिया था, लेकिन कहते हैं ना, कि ‘जहां चाह वहां राह’ मेरे साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ, हुआ यूं कि मेरे साथ ही राजस्थान के झुंझनू जिले की नवलगढ़ तहसील के गाँव देवीपुरा के विजय सिंह गुर्जर जब दिल्ली पुलिस कांस्टेबल से आईपीएस बने तो मुझमें भी आत्मविश्वास फिर से जगा और मैंने छठा प्रयास किया और परिणाम स्वरूप वर्ष 2019 में मैंने 645वीं रैंक के साथ यूपीएससी पास कर एसीपी यानि असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ़ पुलिस बन गया।
यहाँ आपको बताते चलें कि फ़िरोज़ आलम को DANIPS कैडर मिला जिसके तहत उन्हें दिल्ली में ही बतौर एसीपी पोस्टिंग मिली है, फ़िलहाल उनकी ट्रेनिंग चल रही है और अगले साल से वे जिम्मेदारी संभालते भी नज़र आएंगे। ये उनके लिए किसी सपने के सच हो जाने जैसा है। dainikindia24X7.com की तरफ से उनको अनन्त शुभकामनाएं।
-भूपिंदर सिंह