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ज्ञानेन्द्र रावत “सुंदर लाल बहुगुणा स्मृति सम्मान” से सम्मानित

ज्ञानेन्द्र रावत को गंगा सेवा सम्मान, नदी संरक्षण सम्मान, जल संरक्षण सम्मान, महेश गुप्ता स्मृति सम्मान,ग्रीन इंडिया अवार्ड,पर्यावरण रत्न सम्मान, पर्यावरण भूषण सम्मान, नेशनल ग्रीन अवार्ड, जेपी पर्यावरण अवार्ड, ग्लोबल इनवायरमेंट अवार्ड आदि अनेकों सम्मान-पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

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विश्व जल दिवस के अवसर पर बल्लभगढ़ स्थित बालाजी शिक्षण संस्थान के डा०एस०एन०सुब्बाराव सभागार में वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, पर्यावरणविद एवं राष्ट्रीय पर्यावरण सुरक्षा समिति के अध्यक्ष ज्ञानेन्द्र रावत को प्रख्यात पर्यावरणविद श्री सुंदर लाल बहुगुणा स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। यह सम्मान ज्ञानेन्द्र रावत को प्रख्यात नदी जल विशेषज्ञ, पर्यावरणविद एवं श्री सरस्वती हैरिटेज फाउण्डेशन, मुंबई के अध्यक्ष जगदीश गांधी, हिमालयी पर्यावरण अध्ययन संस्थान उत्तरकाशी के अध्यक्ष पर्यावरणविद सुरेश भाई, ग्राम विकास नवयुवक संस्थान, जयपुर के प्रमुख पर्यावरणविद लक्ष्मण सिंह लापोडिया, विशिष्ठ अतिथि हरियाणा प्रांत के पर्यावरण प्रमुख श्री श्रीभगवान जी, गो ग्रीन फाउण्डेशन,पटना की प्रमुख श्रीमती रागिनी रंजन व गिफ्ट की महासचिव डा० ऊषा डागर ने प्रदान किया।
       इससे पूर्व ज्ञानेन्द्र रावत को गंगा सेवा सम्मान, नदी संरक्षण सम्मान, जल संरक्षण सम्मान, महेश गुप्ता स्मृति सम्मान,ग्रीन इंडिया अवार्ड,पर्यावरण रत्न सम्मान, पर्यावरण भूषण सम्मान, नेशनल ग्रीन अवार्ड, जेपी पर्यावरण अवार्ड, ग्लोबल इनवायरमेंट अवार्ड आदि अनेकों सम्मान-पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
       सम्मेलन में जल विशेषज्ञों-पर्यावरणविदों ने अपने सम्बोधन में जल की जीवन में महत्ता, जल संकट के कारणों, जल प्रदूषण के कारकों, विकास के चलते नदियों के उदगम स्थलों और प्रवाह की दुर्दशा, अविरलता में बाधक तत्वों, भूजल के गिरते स्तर के चलते देश के महानगरों के डार्क जोन में तब्दील होने के कारणों व वर्षा जल के संचय-संरक्षण की दिशा में नाकामियों का सिलसिलेवार वर्णन किया और कहा कि आज हिमालय पर भीषण संकट है। इसमें दो राय नहीं कि यदि हिमालय नहीं बचा तो नदियां भी नहीं बचेंगीं और यदि हम अभी भी नहीं चेते तो वह दिन दूर नहीं जब हम पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस जायेगें। इसलिए अब भी समय है चेतो और जीवन के आधार पानी को बर्बाद मत करो, जितना जरूरी हो उतना ही इस्तेमाल करो। पुण्य सलिला नदियों का सम्मान करो, उनको प्रदूषित मत करो। यदि आज हम पानी बचाने में नाकाम रहे तो आने वाली पीढि़यां हमें माफ नहीं करेंगी।
        इस अवसर पर शिक्षाविदों, समाजसेवियों, पर्यावरणवादियों, छात्र-छात्राओं व जल योद्धाओं के अलावा नेशनल यूथ प्रोजेक्ट के सुरेश राठी, विशिष्ठ अतिथि पर्यावरणविद प्रशांत सिन्हा, वृक्षारोपण अभियान गाजियाबाद की प्रमुख श्रीमती जयश्री सिन्हा, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी सुशील कुमार, शिक्षाविद व जे०सी०बोस यूनीवर्सिटी के प्रोफेसर, डा०अरविंद गुप्ता की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय थी। समारोह के अंत में सम्मेलन आयोजक प्रख्यात शिक्षाविद, हरियाणा में तालाब पुनर्जीवन योजना के प्रमुख व गिफ्ट के प्रबंध न्यासी डा० जगदीश चौधरी ने बाहर से आये पर्यावरणविदों, सभी जल योद्धाओं, पर्यावरण मित्रों, छात्र-छात्राओं का आभार व्यक्त किया और कहा कि आज के इस सम्मेलन की सार्थकता-सफलता तभी संभव है जबकि हम सभी आज यहां आये जल विशेषज्ञों-पर्यावरणविदों के विचारों से प्रेरित होकर दैनंदिन जीवन में पानी की एक एक बूंद बचायें और वर्षा जल संचय का हर संभव प्रयास करें।
        सम्मेलन में जगदीश गांधी को जल संत सम्मान, लक्ष्मण सिंह लापोडिया को जल रत्न सम्मान, सुरेश भाई व  सुबोध नंदन शर्मा को पर्यावरण भूषण सम्मान, अशोक उपाध्याय को नदी रत्न सम्मान,डा० अनुभा पुंढीर व श्रीमती रागिनी रंजन को पर्यावरण गौरव सम्मान, केसर सिंह को जल संरक्षण सम्मान,  श्रीमती शांति सिंह व संजय राणा को वृक्ष मित्र सम्मान से सम्मानित किया गया।
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