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गणेश जी ने बताई श्री कृष्ण की महिमा

जब वेदव्यास जी को एक उत्तम लेखक की तलाश थी तो ब्रह्रमाजी ने श्रेष्ठतम गणेश जी का नाम सुझाया।

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मोदक, मिष्ठान्न का भोग लगाकर हर कोई गणेश जी को प्रसन्न कर ज्ञान अर्जन करना चाहता है। अपनी बुद्धि में और अधिक विस्तार पाना चाहता है। ज्ञान के भंडार कहे जाने वाले विनायक की उपासना के लिए भक्तगण पूरी तरह से तैयार हैं। इस साल 10 सितंबर को गणेश चतुर्थी का विशेष उत्सव पूरे विश्व में बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। हालाँकि कोरोना काल की वजह से सबकुछ नियंत्रण में रहेगा पर भक्त अपनी श्रद्धा और विश्वास को प्रकट करने के लिए जहाँ ऑनलाइन माध्यमों का विकल्प लेंगे, वहीं इस्कॉन द्वारका की ओर से गणेश चतुर्थी के अवसर पर भोजन वितरण के साथ गणेश जी के प्रिय मोतीचूर के लड्डू का प्रसादम भी वितरित किया जाएगा।

इस दिन गणपति स्थापना से लेकर विसर्जन तक सभी भक्तगण जहाँ गजानन, विघ्नेश्वर से अनंत विघ्नों का नाश करने की प्रार्थना करते हैं वहीं उनसे कृपा दृष्टि बनाए रखने की कामना भी करते हैं। भौतिक जगत की सुख-शांति के लिए यह एक सरल उपाय भी है। यदि आप आध्यात्मिक शांति पाना चाहते हैं तो गणेश जी की तरह आप भी उनकी सेवा भक्ति कीजिए, जिनकी उन्होंने स्वयं की है। शिवजी के गणों में सबसे प्रधान कहे जाने वाले गणपति, भगवान श्री कृष्ण के बड़े प्रिय भक्त कहे जाते हैं, क्योंकि उन्होंने स्वयं श्री कृष्ण की महिमा को लिखा है। महर्षि वेदव्यास ने पुराणों का उच्चारण किया और गणेश जी ने उनको लिखने में मदद की। अगर आप गणेश जी को प्रसन्न रखना चाहते हैं तो उनके द्वारा लिखे गए महापुराणों में से एक ग्रंथराज भागवतम को अपने घर में अवश्य रखें, पढ़ने का संकल्प लें और चाहें तो अपने मित्रगणों को उपहार में भी दे सकते हैं। सर्वसत्य है कि सभी शास्त्रों में सर्वश्रेष्ठ है भागवत। भागवत को नियम बनाकर थोड़ा-थोड़ा रोज़ पढ़ना और दूसरों को प्रेरित करना भी भक्त के लिए एक प्रकार की सेवा के साथ-साथ अपने जीवन को नई राह देने का सुअवसर भी है। इस्कॉन द्वारका,  सेक्टर-13 से श्रीमद्भागवतम की प्राप्ति के लिए आप इस नंबर 8929873365 पर संपर्क कर सकते हैं।

द्वारका स्थित श्री श्री रुक्मिणी द्वारकाधीश इस्कॉन मंदिर के निदेशक अर्चित दास प्रभु कहते हैं कि श्री कृष्ण भक्ति को बढ़ावा देने वाला यह श्रीमद्भागवत महापुराण आपके जीवन में खुशियाँ लाने के साथ-साथ आध्यात्मिक जगत के द्वारों को भी खोलने में भी आपकी मदद करेगा। निश्चित रूप से गणेश जी उन पर अपनी कृपा बनाए रखेंगे जो उनके द्वारा लिखित ग्रंथों के प्रति अपनी आसक्ति को बढ़ाएँगे और प्रेमभाव से पढ़ेंगे, कथा श्रवण करेंगे और उनका प्रचार-प्रसार करेंगे। मूषक पर सवार गणेश जी की कृपा से आप भौतिक संसार का आनंद तो प्राप्त कर ही सकते हैं, क्योंकि गणेश जी दिव्य संसार के आनंद का प्रतीक हैं।

वे आगे कहते हैं कि महाभारत के आदिपर्व में उल्लेख है कि जब वेदव्यास जी को एक उत्तम लेखक की तलाश थी तो ब्रह्रमाजी ने श्रेष्ठतम गणेश जी का नाम सुझाया। तभी वेदव्यास जी ने गणेश जी का स्मरण किया और वे प्रकट हो गए। इस तरह हमें भी गणेश जी से प्रार्थना करनी चाहिए कि जिस तरह उन्होंने स्वयं को हरि चरणों में अर्पित कर दिया, नरसिंह अवतार से ज्ञान प्राप्त कर दिव्य लेखन के माध्यम से उनकी सेवा की, ऐसे ही हमारा मन भी प्रभु की भक्ति में लगे।

                                            कृष्ण का साक्षात स्वरूप है श्रीमद्भागवतम

कृष्ण सेवा से जुड़े महागुरुओं का कहना है कि श्रीमद्भागवतम की कितनी अनुपम महिमा है कि इसे शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता। श्रीमद्भागवतम साक्षात भगवान हैं। कृष्ण का स्वरूप है। कृष्ण का ग्रंथावतार है। श्रीमद्भागवतम में भगवान श्रीकृष्ण की अनेक लीलाओं की चर्चा की गई है। श्रीमद्भागवतम के साथ हम कभी-कभी एक सामान्य पुस्तक की तरह पेश आते हैं जबकि हमें इस को पूजना चाहिए, आरती उतारनी चाहिए।

भगवान कृष्ण ने कई अवतार लिए जैसे कृष्ण नाम अवतार, पुरुष अवतार आदि। ऐसे ही कृष्ण का साक्षात स्वरूप है श्रीमद्भागवतम। पहले दो स्कंध भगवान के चरण हैं, तीसरा, चौथा स्कंध भगवान की जाँघें हैं, पाँचवा स्कंध भगवान का उदर है. छठा स्कंध भगवान का वक्षस्थल है, सातवाँ, आठवाँ स्कंध भगवान की भुजाएँ हैं, नौवाँ स्कंध भगवान का गला है, दसवाँ स्कंध भगवान का चेहरा है, ग्यारहवाँ स्कंध भगवान का ललाट है, बारहवाँ स्कंध भगवान के सिर पर वृंदावन के फूलों की पगड़ी है। भगवान के दर्शन करने के लिए हम उनके चरणों से ऊपर की ओर जाते हैं, इसी तरह हर स्कंध को क्रमवार पढ़ते हुए भगवान की महिमा को समझने का प्रयास करते हैं। श्रीमद्भागवतम भगवान की लीलाओं से भरा होने के कारण संपूर्ण माना जाता है। इसकी संपूर्णता को जीवन में समझना अति आवश्यक है। भागवत का प्रत्येक अक्षर अमृत प्रदान करने में सक्षम है। इसके शब्द प्रेम वर्षा करते हैं। इसका पठन कर आप परम आनंद की अनुभूति प्राप्त कर सकते हैं। यह आपका जीवन बदल सकता है। हर क्षण आपके द्वारा भागवत की सेवा होनी चाहिए, क्योंकि ये शाश्वत कृष्ण हैं, साक्षात कृष्ण हैं।

प्रस्तुति-वंदना गुप्ता

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