पिताजी आप हैैं, इस दुनिया के सब से शक्तिशाली इंसान

कहते हैं कि ईश्वर, अल्लाह, गॉड हर जगह नही पहुँच सकता है इसीलिए उसने माँ की संरचना की। जोकि अपने बच्चों को भरपूर प्यार देने के साथ-साथ उन्हें अच्छे संस्कार दे सके। इस रिश्ते के साथ-साथ एक रिश्ता और है जो बच्चों की जरूरतों को पूरा करने में अपनी जिंदगी लगा देता है और वो रिश्ता है पिता (father) का। और इस रिश्ते की सबसे बड़ी खूबसूरती कहिए या सच्चाई ये है कि एक पिता ही है जो कि ये चाहता है, कि मेरे बच्चे उस ऊचाइयों पर पहुँचे जिसे अपनी मजबूरियाँ कहे या जिम्मेदारिओं के कारण वो खुद नहीं छू पाया। और सच जानियेगा जब बच्चे काबिल बन जाते हैं, तब जाकर एक पिता अपने आपको एक कामयाब इंसान मानता है। आइए आपको एक ऐसी ही कहानी से रूबरू कराते हैं शायद ये कुछ लोगों को अपनी सी लगे।
“पेश हैं ये पंक्तिया”जो पिता के पैरों को छूता है *वो कभी गरीब नहीं होता।जो मां के पैरों को छूता है वो कभी बदनसीब नही होता।जो भाई के पैराें को छुता हें वो कभी गमगीन नही होता।जो बहन के पैरों को छूता है वो कभी चरित्रहीन नहीं होता।जो गुरू के पैरों को छूता हैउस जेसा कोई खुशनसीब नहीं होता…….अच्छा दिखने के लिये मत जिओबल्कि अच्छा बनने के लिए जिओजो झुक सकता है वह सारीदुनिया को झुका सकता हैअगर बुरी आदत समय पर न बदली जायेतो बुरी आदत समय बदल देती हैचलते रहने से ही सफलता है,रुका हुआ तो पानी भी बेकार हो जाता हैझूठे दिलासे से स्पष्ट इंकार बेहतर हैअच्छी सोच, अच्छी भावना,अच्छा विचार मन को हल्का करता हैमुसीबत सब परआती हैकोई बिखर जाता हैऔर कोई निखर जाता है“तेरा मेरा” करते एक दिन चले जाना है…जो भी कमाया यहीं रह जाना है*सदैव बुजुर्गों का सम्मान करें*