विलुप्त होती कला का प्रर्दशन मेले में
सरस आजीविका मेला 2021 में लद्दाख राज्य भी हुआ है शामिल
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जैसे जैसे विश्व व्यापार मेला अपने समापन की ओर बढ़ रहा है वैसे वैसे लोगों की भीड़ भी सरस आजीविका मेला में बढ़ती जा रही है। गुजरात के कच्छ से आई हुईं बेल एंड क्राफ्ट एसएचजी की मारिया बाई ने बताया कि हमारे एसएचजी में कुल दस महिलाएं हैं जो कि मेटल बेल्स की विलुप्त होती हुई कला को बिखेर रही हैं। उन्होंने बताया कि मेटल बेल्स में विंड चैम्प्स, झूमर लटकन आदि बनाती हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि इन बेल्स को अपने घरों में लगाने से पाजिटिव एनर्जी आती हैं। वहीं, कच्छ से ही आई हुईं श्रीशक्ति मिशन मंगलम एसएचजी की भावना बेन वनकर ने बताया कि इनके पास भी गुजरात के अच्छे सामानों की मौजूदगी है।
साथ ही हाल ही में बने लद्दाख राज्य से आई हुईं थुंडिल एसएचजी की इशे डोलमा ने बताया कि उनके साथ कुल दस महिलाएं काम करती हैं, उन्होंने बताया कि हमारे पास ड्राई फ्रुट, वुलेट हेंड निटिट आईटम्स, एप्रीकोट आयल, एपल्स, वुड कारविंग आदि के सामान हैं। वहीं, लद्दाख से ही आई हुईं हलीमा बानो ने बताया कि उनके स्करचन एसएचजी में भी लद्दाख के कुर्ते, एपल्स आदि सामान हैं। उन्होंने बताया कि यहां बिक्री बहुत अच्छी रही और यही कारण है कि अब हमारे पास बहुत कम ही सामान बचे हुए हैं। हम चाहते हैं कि आगे भी ऐसा आयोजन होता रहे ताकि हम अपने मशहूर आईटम को देश के हरेक कोने और विदेशों में भी पहुंचा सकें।
सरस आजीविका मेला 2021 में आज भी लोगों की दिन भर भीड़ लगी रही। लोगों ने इस दौरान जमकर खरीदारी की। कर्नाटका से आई हुई महिला स्वसाया संघ बिस्मिल्लाह की आईसा ने बताया कि हमारे एसएचजी में कुल बीस महिलाएं हैं जो मैसूर इनले (वुडेन कार्बिन) की राधा कृष्ण मूर्ति, हनुमान, अष्टलक्ष्मी समेत अन्य चीजों की भी कलाकिर्तियां बनाती है। मैसूर इनले में इनके यहां हजार रुपये से लेकर डेढ़ लाख रुपये तक के प्रोडक्ट हैं। इसके साथ ही ये सभी महिलाएं अगरबत्तियां और परफ्यूम, सेंडल सोप आदि भी बनाती है। इनके यहां के प्रोडक्ट की खासियत यह है कि ये सभी काम चंदन (सेंडल) से ही करती हैं। वहीं, परफ्यूमम औऱ अगरबत्ती के प्रोडक्ट डेढ़ सौ रुपये के भी हैं। वहीं, राजस्थान के बीकानेर से आई हुई आनंदराज एसएचजी ग्रुप की तीजां ने बताया कि हमारे समूह में कुल तेरह महिलाएं हैं, जो हमारे साथ मिलकर पापड़, मुगोड़ी, अचार, नमकीन, खाखरा, चना चटपटा, चना लहसन, मूंग मशाला आदि के विभिन्न प्रकार हैं। इसकी कीमत तीन सौ से लेकर छह सौ रुपये तक के सामान हैं।
ज्ञात हो कि दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित 40वें विश्व व्यापार मेले में एक बार फिर परंपरा, क्राफ्ट, कला एवं संस्कृति से सरोबार आजादी के अमृत महोत्सव थीम के साथ, 14 नवंबर से 27 नवंबर तक प्रसिद्ध सरस आजीविका मेला 2021 का आयोजन किया जा रहा है। प्रगति मैदान के हॉल नंबर–7 (ए, बी, सी) में 14 से 27 नवंबर तक चलने वाले इस मेले में देश भर के हस्तकरघा एवं हस्तशिल्प के उत्कृष्ट सामानों की बिक्री एवं सह प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) द्वारा आयोजित इस सरस आजीविका मेला 2021 में ग्रामीण भारत की शिल्पकलाओं का मुख्य रूप से प्रदर्शन किया जा रहा है। 14 नवंबर से 27 नवंबर तक चलने वाले इस उत्सव में 300 के करीब महिला शिल्प कलाकार, 137 स्टॉलों पर अपनी अपनी उत्कृष्ट प्रदर्शनी का प्रदर्शन कर रहे हैं।
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