Sedition Law: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला- 152 साल पुराने देशद्रोह कानून पर लगाई रोक,नहीं दर्ज होंगे नये मामले
1870 से चले आ रहें देशद्रोह कानून पर सुप्रिम कोर्ट ने फिलहाल के लिए रोक लगा दी है और केंद्र और राज्यों को इस बारे में पुनर्विचार की अनुमति दी है और साथ ही आदेश दिया है कि जब तक इस मामले में पुनर्विचार हो रहा है,
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1870 से चले आ रहें देशद्रोह कानून पर सुप्रिम कोर्ट ने फिलहाल के लिए रोक लगा दी है और केंद्र और राज्यों को इस बारे में पुनर्विचार की अनुमति दी है और साथ ही आदेश दिया है कि जब तक इस मामले में पुनर्विचार हो रहा है, तब तक राजद्रोह कानून यानी 124ए के तहत कोई नया मामला दर्ज ना किया जाए, अब इस मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी।
आपको बता दें कि इस मामले में मंगलवार को सुनवाई हुई थी, जहां केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि इस कानून पर कार्यपालिका के स्तर पर Review और Rethink की आवश्यकता है क्योंकि इस कानून से राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता जुड़ी हुई है। उन्होंने कोर्ट से इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई को फिलहाल के लिए टालने की भी मांग की थी।
क्या है देशद्रोह कानून?
भारतीय कानून संहिता (आईपीसी) की धारा 124A के तहत अगर कोई देश का नागरिक सरकार विरोधी या कानून विरोधी सामग्री लिखता या बोलता है या फिर उसका समर्थन करता है तो वो राजद्रोह का अपराधी है और इसके तहत तीन साल से लेकर उम्रकैद की सजा भी हो सकती है। अगर कोई व्यक्ति राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करता है या फिर संविधान के नियमों का पालन नहीं करते हुए उसके खिलाफ एक्शन लेता है तो उस पर भी राजद्रोह का केस दर्ज हो सकता है। ये कानून 1860 में बना था और इसे 1870 में आईपीसी में शामिल किया गया था।
खारिज होंगे नए केस
आईपीसी की धारा 124ए के तहत देशद्रोह के मामलों को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा है कि अभी इस धारा के तहत केस दर्ज न करें। कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर देशद्रोह के मुकदमे दर्ज किए जाते हैं तो लोग कोर्ट का रुख कर सकते हैं और कोर्ट को तुरंत ही ऐसे केस खारिज करने होंगे।
केंद्र सरकार का पक्ष रखने के लिए पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार पुलिस को देशद्रोह के प्रावधानों के तहत संज्ञेय अपराधों का मुकदमा दर्ज करने से रोक नहीं सकती है, लेकिन धारा 124ए के तहत मुकदमा तभी दर्ज किया जाएगा जब इलाके के पुलिस अधीक्षक मामले से जुड़े तथ्यों से संतुष्ट हों।
जेल में बंद लोग कर सकते हैं जमानत की अपील
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसके तहत जो भी लंबित मामले हैं, उनपर यथास्थिति रखी जाए। इस मामले की सुनवाई अब जुलाई के तीसरे हफ्ते में होगी। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि देशद्रोह कानून पर तब तक रोक रहेगी, जब तक इसका पुनरीक्षण न हो. कोर्ट ने यह भी कहा कि जिनके खिलाफ राजद्रोह के आरोप में मुकदमे चल रहे हैं या जेलों में बंद है वो जमानत के लिए अदालतों में अर्जी दाखिल कर सकते हैं।