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भारत रंग महोत्सव: सांस्कृतिक उत्सव का जश्न

भारत रंग महोत्सव के दसवें दिन शनिवार को 2 नुक्कड़ नाटक, 2 कथा और उत्तराखंड का छोलिया नृत्य दिखाया गया

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भारत रंग महोत्सव की रजत जयंती का उत्साह राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के सभी रंग प्रेमियों में है। महोत्सव को शुरू हुए एक हफ्ते से भी ज्यादा समय हो चुका है। भारत रंग महोत्सव के दसवें दिन शनिवार को 2 नुक्कड़ नाटक, 2 कथा और उत्तराखंड का छोलिया नृत्य दिखाया गया। छोलिया नृत्य उत्तराखंड का परंपरागत लोक नृत्य है, जो स्थानीय सांस्कृतिक विरासत को महसूस कराता है। इसमें गायक, नृत्यशिल्पी, और ढोलकियाँ समाहित होती हैं, जो साथ मिलकर धूमधाम से इसे प्रदर्शित करते हैं।
     नाटकों के अलावा शनिवार को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में महाराजा अग्रसेन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (जीजीएसआईपीयू) और महाराजा अग्रसेन कॉलेज (दिल्ली यूनिवर्सिटी) के छात्रों ने  2 नुक्कड़ नाटकों की प्रस्तुति दी।
महाराजा अग्रसेन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (जीजीएसआईपीयू) ने ‘रेस्ट इन पीस’ नाटक के द्वारा नींद की कमी के कारण शरीर में होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बताया। साथ ही छात्रों ने अच्छी नींद के फायदों के बारे में भी लोगों को बताया।
     इसके अलावा महाराजा अग्रसेन कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) का नुक्कड नाटक ‘छोटी नज़रों का बड़ा नज़रिया’, भारत के घोषित धर्मनिरपेक्ष मूल्यों और पूर्वोत्तर राज्यों द्वारा सामना किए जाने वाले प्रचलित नस्लवाद के बीच विरोधाभास को सशक्त रूप से संबोधित करता है। यह पूर्वोत्तर समुदाय द्वारा अनुभव किए गए भेदभाव, हमले और अमानवीयकरण की कठोर वास्तविकता को उजागर करता है और रूढ़िवादिता को चुनौती देता है साथ ही इस परिप्रेक्ष्य में सामूहिक बदलाव का आग्रह करता है। व्यंग्य, हास्य और दिल को छू लेने वाली कहानियों के माध्यम से, नाटक में सहानुभूति और समझ के मार्मिक आह्वान किया गया है।
     नाटकों में आज राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में मैथिली भाषा के सीत-बसंत का मंचन किया गया। यह लोक शैली ‘नटुआ नाच’ में प्रस्तुत किया गया। इसका निर्देशन अजीत कुमार द्वारा किया गया है। ‘सीत-बसंत’ नाटक एक दुःखद कहानी है जो मिथिला के लोगों के बीच प्रसिद्ध है। यह दो जुड़वां राजकुमारों के प्रेम, उनके साती-सौतेले रिश्तों, और परिवर्तन के विषयों पर ध्यान केंद्रित करता है। नाटक द्वारा उत्कृष्ट रूप से प्रस्तुत किए गए दृष्टिकोण, दिलचस्प घटनाओं, और संवेदनशीलता के माध्यम से सीत-बसंत की कहानी आदर्श सोच-विचार को प्रस्तुत करता है।
इसके अलावा पबित्रा राभा द्वारा निर्देशित, ‘सोचेंगे हम’ की बहुमुख में प्रस्तुति दी गई।
     रविवार यानि 11 फरवरी को मोहम्मद अली हैदर खान द्वारा खोना और इरिन परवीन लोपा द्वारा दामेर मदर का प्रदर्शन चहुमुख, एनएसडी और मेघदूत थिएटर, एसएनए में किया जाएगा।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में आयोजित भारत रंग महोत्सव के 9वें दिन की प्रस्तुति के बारे में जानने के लिए इस Link पर:—https://dainikindia24x7.com/bharat-rang-mahotsav-2024-a-cultural-festival-a-grand-confluence-of-colors-and-shades-16271-2/  Click करें। और आप चाहें तो अपने मोबाइल पर Play Store से हमारा DAINIK INDIA 24X7 ऐप्प डाउनलोड कर सकते हैं। 
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