Agro Based business: खेत में बढ़ाना चाहते है आमदनी तो ऐसे शुरू करें बकरी पालन, होगा लाखों का फायदा
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नई दिल्ली. भारत की लगभग 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर आधारित है। लेकिन पारंपरिक खेती करने से खेती में किसान लाभ से वंचित रह जाते है। ऐसे में किसान भाईयों को आधुनिक कृषि से जुड़कर लाभ कमाना चाहिए। एकल कृषि के बजाय मिश्रित खेती करनी चाहिए । जिसमें मुख्य फसल के साथ साथ पशु पालन पर भी जोर देना चाहिए। अगर आप बकरी पालन करते है। तब आपके पास लाखों की आमदनी भी बढ़ा सकते है।
किसानों के बीच बकरी पालन को लेकर चलन बेहद तेजी से बढ़ा है। इसके अलावा बैंक द्वारा भी बकरी पालन करने वाले किसानों को अच्छा खासा लोन दिया जाता है।ज्यादातर पशुपालक बकरियों का पालन दूध उत्पादन के लिए करते हैं।हालांकि, इसके बाजार में इसके मांस की मांग भी काफी है।ऐसे में पशुपालक बकरी पालन से डबल मुनाफा हासिल कर सकते हैं और इसमें लागत भी कम आती है।
बकरी पालन व्यवसाय के लिए मिलती है सब्सिडी
बकरी पालन व्यवसाय के लिए सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जाती है। सरकार इसके व्यवसाय के लिए 90 प्रतिशत वित्त पोषण भी देती है. इसके अलावा हरियाणा में मवेशियों की आय बढ़ाने के लिए सरकारी अनुदान प्रदान किया जाता है। बकरी पालन व्यवसाय के लिए दो तरीकों से लोन प्राप्त किया जा सकता है। बिजनेस लोन ऑपरेशंस के लिए वर्किंग कैपिटल लोन और दूसरी बकरी होल्डिंग्स। एक व्यापार ऋण एक बंधक ऋण से 50,000 रुपये से 10 लाख रुपये तक का लोन मिलता है।इसके अलावा, कई बैंकों की ओर से बकरी पालन व्यवसाय के लिए 26 लाख तक का लोन मिल सकता है. इसके लिए पशुपालकों को अपने नजदीकी बैंक से संपर्क करना होता है। Read More: पृथ्वी पर परमात्मा का जागृत स्वरूप है मां–ज्ञानेन्द्र रावत
ये नस्ले है लाभदायक
मुनापुरी | यह नस्ल उत्तर प्रदेश के इटावा व्आगरा में मिलती है। | द्विकाजी
नर 50-60 कि.ग्रा. मादा 40-50 कि.ग्रा. मांस के लिए उपयुक्त |
बड़ा आकार,कान 25-30 से.मी. लम्बे, रोमन नोज या उभरी हुई नाक, पिछली पैराें पर घने लम्बे बाल,रंग मुख्यतः सफ़ेद, शरीर पर काले भूरे रंग के धब्बे,लम्बे थन। | |
ब्लैक बेंगाल | असम , पश्चिम बंगाल | नर 30 कि.ग्रा.
मादा 20 कि.ग्रा. मांस के लिए उपयुक्त |
कद छोटा, रंग कला/भूरा कान छोटे व चपटे,सींग लिए ऊपर की ओर उठे हुए,कन्धा और पिछला भाग समान ऊँचाई के, छाती चौड़ी। | |
बारबरी | इस नस्ल की बकरियाँ उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान में पाई जाती है। | दुधारू, नर 40 कि.ग्रा. दूध 1.30 -2.00 कि.ग्रा. | छोटे कद,छोटे कान, छोटे सींग,सीढ़ी नाक, रंग ज्यादातर सफ़ेद व भूरा, शरीर पर छोटे-छोटे बाल, पिछला हिस्सा भरी, अयन पूर्णत: विकसित, घर में रखकर पालने में उपयुक्त | |
बीटल | यह नस्ल पंजाब एवं हरियाणा में पाई जाती है। | द्विकाजी
नर 50-60 कि.ग्रा. मादा 40-50 कि.ग्रा. |
बड़ा आकार, काला भूरा रंग, जमुनापुरी से मिलती जुलती, लम्बे कान, उभरी नाक, सींग पीछे की ओर मुड़े हुए घुमावदार। | |
सिरोही | यह नस्ल राजस्थान के सिरोही, अजमेर, उदयौर जिले में पाई जाती है। | द्विकाजी,
नर 40-50 कि.ग्रा. मादा 23-27 कि.ग्रा. |
पशु का आकार माध्यम, गठीला, रंग हल्का एवं गहरा भूरा व् शरीर पर काले, सफ़ेद एकम गहरे काले रंग के धब्बे होते है। |