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दुनिया का ऐसा देश जहां नहीं पूछी जाती कैदी से आखरी इच्छा,मौत से दो दिन पहले मिलाया जाता है परिवार से

आज तक आपने कई फिल्मों में देखा होगा कि मौत से पहले कैदियों से उनकी आखिरी विश पूछी जाती है। ऐसे कई देश हैं,जहां फांसी पर चढ़ाने से पहले कैदियों को उनका पसंदीदा खाना खिलाया जाता है।

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आज तक आपने कई फिल्मों में देखा होगा कि मौत से पहले कैदियों से उनकी आखिरी विश पूछी जाती है। ऐसे कई देश हैं,जहां फांसी पर चढ़ाने से पहले कैदियों को उनका पसंदीदा खाना खिलाया जाता है। लेकिन आपको बता दें कि दुनिया में एक ऐसा देश भी है, जहां इस तरह का कोई नियम नहीं है। यहां मौत से पहले कैदियों से उनकी लास्ट विश नहीं पूछी जाती है। साथ ही उन्हें अकेले में ही मौत के घाट उतार दिया जाता है।

नहीं पूछी जाती आखरी इच्छा

टूरिस्ट्स के लिए मेन अट्रैक्शन वाले देश में से एक है सिंगापुर. खूबसूरत नजारों और हसीन वादियों के बीच इस देश में फांसी की सजा पाए गए अपराधियों के साथ कोई नरमी नहीं बरती जाती है।अमेरिका जैसे देश में भी फांसी पर लटकाने से पहले कैदियों से उनकी पसंददीदा डिश पूछकर उन्हें खिलाया जाता है। सिंगापुर दुनिया के उन देशों में से एक हैं, जहां फांसी की सजा से पहले कैदियों से उनकी लास्ट विश तक नहीं पूछी जाती है। साथ ही उन्हें उनके परिवार वालों की गैर मौजूदगी में ही फांसी पर लटका दिया जाता है।

बाकी के देशों से अलग है कानून

सिंगापुर दुनिया के अब उन चुनिंदा देशों में से एक रह गया है जहां फांसी की सजा दी जाती है। अभी यहां करीब 32 क्राइम्स के लिए मौत की सजा का प्रावधान है।इसमें से प्रमुख हैं ड्रैस की तस्करी, मर्डर, आतंक और विस्फोटक रखना। इन चार क्राइम्स के लिए सिंगापुर में माफ़ी नहीं है। हालांकि, 2012 में क़ानून में बदलाव करते हुए ये कहा गया था कि कुछ मामलों में फांसी की सजा को उम्रकैद में कोड़े मारने की सजा के साथ बदल दिया जाएगा। इसमें हर दिन कैदी को 24 कोड़े मारे जायेंगे जब तक वो जिन्दा रहेगा.

ऐसे दी जाती है मौत की सजा

सिंगापुर में मौजूद चांगी जेल में ही कैदियों को फांसी पर चढ़ाया जाता है। इस किला नुमा जेल में जाने का मतलब है कि कैदी अब जीते जी वहां से बाहर नहीं आ पाएगा। जहां दूसरे देशों में फांसी से पहले कैदी से उसकी आखिरी विश पूछी जाती है और साथ ही उसके घरवालों से मिलवाया जाता है, सिंगापुर में ऐसी कोई ढिलाई नहीं दी जाती है। यहां कैदियों को अकेले ही मौत के घाट उतार दिया जाता है। हां, एक छूट जरूर दी जाती है, मौत से दो दिन पहले कैदियों को उसके घर के कपड़े पहनाकर उसकी तस्वीर खिंचवाई जाती है। ताकि मरने के बाद परिवार के पास उसकी आखिरी याद रहे.

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