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Al Falah University case: फरीदाबाद में अल-फलाह यूनिवर्सिटी आतंकी साजिश के नए अड्डे के रूप में सामने आई है। धौज गांव के एक किराए के घर से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट और हथियार मिलने के बाद जांच कई राज्यों तक पहुंच गई है। जम्मू कश्मीर से लेकर लखनऊ तक फैले इस नेटवर्क में डॉक्टरों और प्रोफेसरों की संलिप्तता ने सुरक्षा एजेंसियों को चौका दिया है। मुख्य आरोपी डॉ. मुजम्मिल शकील और उनकी सहयोगी लेडी डॉक्टर शाहीन शाहिद की गिरफ्तारी के बाद कई अहम खुलासे हुए हैं। पुलिस का दावा है कि यह नेटवर्क दिल्ली-एनसीआर में बड़े धमाके की साजिश रच रहा था। आइए, जानते हैं कैसे काम कर रहा था यह आतंकी नेटवर्क, कौन-कौन थे इसके अहम किरदार और कैसे हुआ इस पूर नेक्सस का खुलासा।
धौज गांव से मिला विस्फोटक, जांच के बड़ी साजिश का हुआ खुलासा
फरीदाबाद के धौज इलाके में तब हड़कंप मच गया जब पुलिस ने एक किराए के घर से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया। शुरुआती जांच में यह मामला एक सामान्य रासायनिक स्टॉक जैसा लगा, लेकिन फोरेंसिक जांच में पुष्टि हुई कि यह विस्फोटक सामग्री थी। घर से एक रजिस्टर मिला, जिसमें 13 सितंबर 2025 को किराए पर कमरा लेने का जिक्र था। इसी जगह से जम्मू कश्मीर पुलिस को वह खेप मिली जिसने पूरे केस का रुख बदल दिया। मामले के केंद्र में डॉ. मुजम्मिल शकील का नाम आया। यही इस आतंकी नेटवर्क एक तरह से मास्टरमाइंड था।
तीन राज्यों तक पहुंची जांच की आंच, डॉक्टर से लेकर प्रोफेसर तक गिरफ्तार
धौज में मिली विस्फोटक खेप के बाद जांच कई राज्यों में फैल गई। जम्मू कश्मीर पुलिस ने सहारनपुर में गिरफ्तार किए गए डॉ. आदिल राठर से पूछताछ की, जिसने अल-फलाह यूनिवर्सिटी के लेक्चरर डॉ. मुजम्मिल शकील का नाम बताया। फरीदाबाद पुलिस और सीआईडी की संयुक्त टीमों ने कार्रवाई शुरू की। जांच में यह भी सामने आया कि मुजम्मिल तीन साल से यूनिवर्सिटी से जुड़ा था और धौज में अकेले रहता था। बाद में लखनऊ की लेडी डॉक्टर शाहीन शाहिद का नाम सामने आया, जो अल-फलाह यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर थीं। उनकी गिरफ्तारी से केस को नया मोड़ मिला।
लेडी डॉक्टर शाहीन की गिरफ्तारी से नया ट्विस्ट
जांच में सामने आया कि डॉ. शाहीन और मुजम्मिल एक-दूसरे के करीबी थे। पुलिस ने बताया कि शाहीन उस ‘व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ का हिस्सा थीं जो दिल्ली-एनसीआर में बड़ी आतंकी साजिश की तैयारी कर रहा था। शाहीन लखनऊ की रहने वाली हैं और उनकी स्विफ्ट डिजायर कार को मुजम्मिल इस्तेमाल करता था। यह कार कई बार धौज और फतेहपुर तगा गांव में देखी गई। पुलिस के मुताबिक, शाहीन हथियार छिपाने और विस्फोटक ट्रांसपोर्ट करने में मदद करती थीं। उन्हें श्रीनगर ले जाकर पूछताछ जारी है। उनकी फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन और मोबाइल डेटा की भी जांच की जा रही है।
फतेहपुर तगा में 2563 किलो विस्फोटक, गांव में दहशत का माहौल
फतेहपुर तगा गांव में पुलिस ने मस्जिद के मौलाना इश्तियाक के घर से 2563 किलो अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया। यह वही इलाका है जहां ज्यादा मजदूर वर्ग के लोग रहते हैं। बताया गया कि कमरा 2500 रुपए किराए पर लिया गया था और छह महीने से किराया नहीं दिया गया था। गांव के लोगों का कहना है कि उन्हें लगा ये खाद के कट्टे हैं, पर पुलिस जांच में पता चला कि इनमें विस्फोटक रखा गया था। पुलिस ने इलाके को सील कर कई मस्जिदों और घरों की तलाशी ली। चार जमातियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।
15 दिन से चल रहा जॉइंट ऑपरेशन, पुलिस ने किया बड़ा खुलासा
फरीदाबाद पुलिस कमिश्नर सतेंद्र कुमार गुप्ता ने बताया कि यह पूरी कार्रवाई पिछले 15 दिनों से चल रहे संयुक्त ऑपरेशन का हिस्सा थी। पुलिस ने धौज स्थित कमरे से आठ बड़े और चार छोटे सूटकेस बरामद किए, जिनमें विस्फोटक सामग्री, हथियार और वॉकी-टॉकी जैसे उपकरण मिले। पुलिस के अनुसार, मुजम्मिल के नेटवर्क का मकसद दिल्ली और आसपास के इलाकों में बड़े धमाके की योजना बनाना था। इस ऑपरेशन में जम्मू कश्मीर, हरियाणा और चंडीगढ़ की टीमें शामिल थीं। अभी भी कई लिंक की जांच बाकी है।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी की जांच जारी, ट्रस्ट की पृष्ठभूमि पर भी सवाल
अल-फलाह यूनिवर्सिटी को 2014 में प्राइवेट विश्वविद्यालय का दर्जा मिला था। यह संस्थान अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा 1997 से संचालित हो रहा था। विश्वविद्यालय में देशभर से विद्यार्थी पढ़ते हैं। अब पुलिस यह जांच कर रही है कि मुजम्मिल और शाहीन की यूनिवर्सिटी में गतिविधियां कैसी थीं और क्या दूसरे लोग भी इसमें शामिल थे। यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा है कि वह जांच में पूरी मदद करेगा। फिलहाल यूनिवर्सिटी कैंपस में पुलिस की निगरानी बढ़ा दी गई है और सभी संदिग्धों से पूछताछ जारी है।





