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ज़िंदगी को लतीफा जो समझो…
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ज़िंदगी लतीफा
हमारी ज़िंदगी में न जाने कितनी मुश्किलें आती-जाती रहती हैं लेकिन हम अगर उन मुश्किलों को हंसी मज़ाक में टाल कर आगे बढ़ते हैं, तो वो बहुत ही छोटी लगने लगती है।
ज़िंदगी को लतीफा जो समझो,
हर घड़ी मुस्कुराती मिलेगी।
ग़म को जो साथ लेकर चलोगे,
हर घड़ी रूलाती मिलेगी।
खुश रहो खुशी से है रौशन,
सारी दुनिया-जहान हमारा।
जिसने आंसुओं को अपना बनाया,
उसको रातें अंधेरी मिलेंगी।
खुद के साथ दूसरों को ले चल,
मंज़िल की राहें आसान होंगी।
जब मांगोगे सबकी खुशी उस खुदा से,
सारी खुशियां तुम्हारी दीवानी रहेंगी।
हीरे जैसा है वो चमचमाया,
हर हालात में जो मुस्कुराया।
खुद हंसो और सबको हंसाओ,
बिन मांगे दुआएं मिलेंगी।
अपने लिये जीना भी क्या है जीना,
हर हालात में जो मुस्कुराया।
खुद हंसो और सबको हंसाओ,
बिन मांगे दुआएं मिलेंगी।
अपने लिये जीना भी क्या है जीना,
बनो दूसरों के लबों की मुस्कराहट।
करके देखो ये छोटी सी कोशिश,
तब ज़िंदगी, बंदगी बनेगी।
तब ज़िंदगी, बंदगी बनेगी।
-वंदना हेमराज सोणावणे