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“शटल काॅक सी ज़िंदगी, हां मैं हूं एक लड़की”
मैं हूं एक लड़की
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” मैं हूं एक लड़की “
शटल काॅक सी ज़िंदगी,
हां मैं हूं एक लड़की।
मां-बाप कहे तू पराई है,
सास-ससुर कहे तू दूजे घर से आई है।
है कौन सा घर मेरा अपना,
जहां हो सके पूरा मेरा सपना।
मेरे आंसुओं की हो कद्र जहां,
सम्मान भरा हो वो आशियां।
मैंने अपना समझा सबको,
मुझको भी कोई अपना समझे।
मैं लड़की हूं, है गर्व मुझे,
खुलके जी सकूं मैं भी, हक है मुझे।
जिम्मेदारियों की बेड़ियों में सदा जकड़ी,
ख्वाहिशों को त्याग मैं आगे बढ़ी।
मैं जननी हूं, जग है मुझसे ही
मेरी खुशी है मेरे आत्मसम्मान में ही।
मेरा आज और कल अपने हाथों से सजाऊंगी
अपना अस्तित्व खुद ही बनाऊंगी।।
–वंदना हेमराज सोनावणे