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“मैं एक पुलिस ऑफिसर बनना चाहती थी”

ज्ञान की समझ.......

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ब्रहमा कुमारी में जो ज्ञान दिया जाता है उसके द्वारा हम अपने संस्कारों में आसानी से परिवर्तन लाकर इस भागदौड़ वाली जिंदगी में अपना जीवन सुखी बना सकते हैं। इसके लिए हमें न घर छोड़ना है और न ही साधु-संत बनना है। घर गृहस्थी में रहते हुए और अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए बस थोड़ा सा समय अपने लिए निकालना है। ब्रहमा कुमारी दुनिया की एक ऐसी संस्था है जिसका संचालन सिर्फ महिलाएं ही करती हैं। नेतृत्व करने में सक्षम दिल्ली सेंटर की ब्रहमा कुमारी की हेड सिस्टर तनुजा से ज्ञान और देश में महिलाओं की स्थिति और सशक्तिकरण के बारे में खुलकर बातचीत की……………

दरअसल, मैं नैनीताल की रहने वाली हूँ। लेकिन मेरे पिताजी दिल्ली में सरकारी नौकरी करते थे। इसलिए अब हमलोग भी यहीं के होकर रह गए हैं। मेरी मां एक हाउस वाइफ हैं। हम तीन बहनें हैं। उसमें सबसे बड़ी मैं ही हूँ। मेरे माता-पिता ब्रहमा कुमारी के ज्ञान में चलते थे। कभी-कभी मैं भी उनके साथ आ जाया करती थी, पर समझती कुछ भी नहीं थी। धीरे-धीरे मेरा भी इसमें इंटरेस्ट बढ़ने लगा। यही वहज है कि सातवीं क्लास से मैं भी इस ज्ञान में चलने लगी अपनी पढ़ाई के साथ-साथ ज्ञान में भी चलती रही। यहां की सच्चाई,सफाई मुझे बहुत प्रभावित करती थी। जबकि मैं एक पुलिस ऑफिसर बनना चाहती थी। लेकिन विधि का विधान तो कुछ और ही था। इस ईष्वरीय कार्य में मैं निमित बन गई। यहां आने के बाद ही मुझे एहसास हुआ कि दुनिया में लोग नारी को गलत रूप से देखते हैं। लेकिन यहां तो बहुत ही सम्मान की नजर से देखा जाता है। तभी मैंने निर्णय लिया कि अब अपना सारा जीवन इसी में समर्पित कर देना है। उस समय मैं सिर्फ 20 साल की थी और आज समर्पित हुए करीब 15 साल हो गए हैं।

हमारे घर में मेरे इस निर्णय से सभी खुश थे। परिवार में किसी ने भी विरोध नहीं किया। मेरी मां ने कहा कि तुम्हारे द्वारा मैंने अपना जीवन जी लिया। आज भी मां के ये शब्द मुझे बहुत रोमांचित करते हैं। पहले मैं बहुत निगेटिव थी और बहुत ही संशय में रहती थी। कुछ भी समझ में नहीं आता था कि मुझे क्या करना चाहिए। मेरे अंदर आत्मविष्वास की बहुत कमी थी। किसी के सामने बोलने से भी बहुत घबराती थी। लेकिन जब इस ज्ञान में आई तो हमारा मेडिटेशन के द्वारा परमात्मा से कनेक्षन होने लगा तब धीरे-धीरे हमारे अंदर से डर, भय और नकारात्मकता सब दूर हो गई और हम मजबूत बन गए। हम अपनी ताकत को पहचाने लगे जिससे हम आज तक अनभिज्ञ थे। हम अपनी ही कमियों की वजह से अपने को दीन हीन समझने लगते हैं। अक्सर लोग अपने परिस्थितियों से घिर जाते हैं, क्योंकि वे खुद ही उसे अपने पर हावी होने देते हैं। अगर हम अपने आत्मा को पहचान लेंगे तो किसी भी परिस्थिति से अपने को आसानी से बचा सकते हैं। इसमें कोई संशय नहीं है। आज अनेक आत्माएं दुखी हैं। इसका मूल कारण है कि दूसरे की कमी-कमजोरियों को देखने की हमारीआदत पड़ गई है। जबकि हमें लोगों की विशेषताओं को देखना चाहिए। महिला दिवस के सुअवसर पर मैं सभी महिलाओं से यही कहना चाहती हूँ  कि कोई भी महिला अपने को कमजोर नहीं समझे और अपने लिए थोड़ा वक्त जरूर निकालें। आप सब कुछ कर सकती हैं। बस परमात्मा को अपने घर का एक सदस्य बना लें। यकीन मानें, आपके घर का वाइब्रेशन बहुत ही पाॅजिटिव हो जाएगा और आपके घर में कोई भी आएगा तो उसे असीम शान्ति का अनुभव होगा।

                      ये थी महिला दिवस पर ब्रहमा कुमारी की हेड सिस्टर बी.के.तनुजा से संध्या रानी की खास बातचीत

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