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दोस्तों इस दुनिया में औरत के बहुत से रूप हैं और सबसे सुंदर रूप है मां का। और विडंबना तो देखिये यही मां जब किसी की सास बन जाती है तो वही मां सबसे कठोर और डरावना रूप धारण कर लेती है। जब हम मां का नाम लेते हैं तो दिल में ममता उमड़ जाती है आँखों में प्रेम छलकता है और जब सास का जिक्र होता है तो भोहें टेढ़ी क्यूं हो जाती हैं भई?
मां है प्रेम की आस और सास है त्रास ही त्रास
क्यूं भई सास भी तो किसी की मां है
और तुम्हारी मां भी तो किसी की सास है
फिर क्यूं दो अलग-अलग अहसास हैं
मां को देखकर होठों पर मुस्कान सजे
और सास के आते ही खतरे घंटी बजे??
क्यूं भई तुम्हारी सास भी तो किसी की मां है!
और तुम्हारी मां भी तो किसी की सास है!!
मां बोले तो मीठी वाणी
सास की बातें ताने क्यूं??
मां की ममता मन में झांके
सास बनी हिटलर रानी क्यूं??
मां तो है ममता की मूरत
सास क्यूं है डरावनी सूरत??
मां कह दे तो सत्य वचन है
सास कहे तो तानाशाही ??
मां की छवि निराली जग में
सास क्यूं बनाई उस रब ने??
मां की महिमा अपरंपार
सास करे दिन-भर दो की चार??
क्यूं भई तुम्हारी सास भी तो किसी की मां है
और तुम्हारी मां भी तो किसी की सास है
फिर क्यूं दो अलग-अलग अहसास है???
बात-बात में बात को समझो
एक नज़र का फेर हैं यारों
एक बार तो सास में भी मां की छवि निहारो
एक बार तो सास को भी
प्रेम से “मां“ कहकर पुकारो
-अंजू सागर भंडारी
यह तो था सिक्के का एक पहलू….. दूसरा पहलू जानने के लिए कल अवश्य पढ़िये बहू/बेटी पर विशेष कविता…..