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“मन रंग दो मेरा कान्हाजी”
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तन रंगने किस देस मैं जाऊं,
मन रंग दो मेरा कान्हाजी।
जित देखूं तित है महामारी,
छिप-छिप बैठी सखियां सारी।
होली के रंग फीके-फीके,
मंदिर की भी बंद है किवाड़ी।
प्रेम-रंग की भरो पिचकारी,
अंर्तमन पे छिड़को सारी।
न हो कोई बैर किसी से,
बस प्रेम की हो साझेदारी।
हाथ जोड़ कर करूं ये विनती,
सबपे दया रखियो गिरधारी।
तुम जानो सब ओ रंगरेजवा,
दूर करो ये विपदा भारी……!!
-वंदना हेमराज सोनावणे