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नारी और पुरूष एक-दूसरे के सहयोगी हैं न कि प्रतिद्वंदी

जिस तरह कहा जाता है कि हर सफल पुरूष के पीछे एक नारी होती है उसी तरह अब यह होना चाहिए कि हर सफल नारी के पीछे एक पुरूष हो

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“महिला दिवस हरदिन है” इसीको ध्यान में रखते हुए www.dainikindia24X7.com ने एक सप्ताह का आयोजन किया है. जिसमें हर तबके की महिलाओं से हम हर दिन रूबरू होंगे जिन्होंने अपने कार्यक्षेत्र में एक मुकाम हासिल किया है। इसी कड़ी में आज हम मिलते हैं प्रसिद्ध  नृत्यांगना कमलिनी नलिनी से संध्या रानी की खास बातचीत ………………..

बनारस घराने की अंतरराष्टीय ख्याति प्राप्त कथक नृत्यांगना कमलिनी नलिनी गुरू जितेंद्र महाराज की शिष्या हैं। नृत्य में उन्होंने अनेक कीर्तिमान स्थापित किया है। कैलाश मानसरोवर पर नृत्य करके उन्होंने एक मिसाल कायम किया है। जहां पर सांस लेना भी कठिन था। नृत्य को एक नई दिशा देने में इन दोनों बहनों ने अथक परिश्रम किया है। आइए जानते हैं इस महिला दिवस के अवसर पर उनके
विचार……….

                                    इस महिला दिवस के अवसर पर मैं यही कहना चाहती हूँ कि अब महिलाओं की स्थिति पहले के मुकाबले में बहुत मजबूत हुई हूँ। सरकार ने महिलाओं को अब इतनी आजादी दी है कि नारी अब उसका दुरूपयोग कर रही है। जो कभी नहीं होना चाहिए। हमारे समाज में कई ऐसी महिलाएं हैं जो दूसरे पर दोषारोपण लगाकर परिवार को परेशानी में डाल देती है। महिलाओं पर पहले भी अत्याचार बहुत होता था, बल्कि पहले तो खूब होता था। लेकिन हमें इसकी जानकारी नहीं मिलती थी। आज मीडिया की वजह से हर खबर लोगों तक आसानी से पहुंच जाती है। पहले समाज इस तरह का था कि महिलाएं घर संभालती थीं और पुरूष बाहर का काम देखते थे। उनको बाहर की कोई जिम्मेदारी नहीं होती थी। इससे वे चिंता मुक्त रहती थीं। धीरे-धीरे समय में बदलाव आया और लोगों की जरूरतें बढ़ती गईं। फिर महिलाओं ने घर से बाहर कदम निकालना शुरू किया।

  घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर काम करना बहुत अच्छी बात है। लेकिन पुरूषों से अपनी तुलना करना ये कहां की समझदारी है। दोनों की अपनी-अपनी छवि है। अपनी छवि को गरिमामय बनाकर रखना ही सबसे बड़ी बात है। मैं अपने नृत्य के प्रति पूरी तरह समर्पित हूँ इस व्यवसाय को गरिमापूर्ण बनाना मेरा धर्म है, क्योंकि मेरा कार्यक्षेत्र भक्तिप्रधान होते हुए भी श्रृंगारप्रधान है। महिलाएं अपने स्वभाव से बहुत ही भावुक, संवेदनषील और विन्रम होती हैं। वह अपने कार्यक्षेत्र के साथ-साथ घर की सारी जिम्मेदारियों को भी बखूबी संभालती हैं।
सरकार ने महिलाओं के लिए बहुत ही सख्त कानून बनाई है। फिर भी महिला ही एक-दूसरे का शोषण करती हैं। कभी आपने देखा नहीं होगा कि पुरूष एक-दूसरे का शोषण करते हों। अब नारी को भी इस बात को अच्छी तरह समझना होगा। हम जिस समाज में रहते हैं उस समाज को आदर्श बनाने का काम महिलाओं पर ही है। एक मां के सानिध्य में ही बच्चे चाहे बेटा हो या बेटी तौर-तरीका,रहन-सहन सब सीखते हैं। इसमें एक पिता की भूमिका बहुत कम होती है। बच्चे पूरी तरह अपनी मां पर ही आश्रित रहते हैं। जब मां अपने बेटे को परिवार से ही नारी का सम्मान करने की शिक्षा देगी तो वह जहां कहीं भी जाएगा उसके संस्कार साथ जाएंगे। इसलिए एक मां को अपने बेटे की परवरिश करते समय काफी जागरूक रहना चाहिए। यही बात लड़कियों पर भी लागू होती है। आजकल लड़कियां भी काफी उदंड़ हो रही हैं। इसमें भी मां की भूमिका बहुत ही अहम है। सरकार कानून बना सकती है, पर उसे सफल बनाने के लिए लोगों में जागरूकता की जरूरत है। समाज में ऐसे बेटे हों जो समाज और राष्ट के प्रति पूरी तरह समर्पित हों। समाज में कुरीतियों को समाप्त करने के लिए अनुषासन और स्नेह से ही बच्चे में सदाचार का भाव पैदा किया जा सकता है और इसके लिए एक मां से बेहतर कोई गुरू नहीं हो सकता है। हमारे भारतीय पुरूष बहुत ही अच्छे है। इसमें कोई शक नहीं हैं। इसलिए आने वाले समय को बदलने के लिए नृत्य और संगीत सात्विक भी बना सकता है और अष्लील भी। हमारे समाज की जो बीमारी है उसका समाधान भी घर से ही होना चाहिए। जिस तरह कहा जाता है कि हर सफल पुरूष के पीछे एक नारी होती है उसी तरह अब यह होना चाहिए कि हर सफल नारी के पीछे एक पुरूष हो। तभी हमारा समाज सशक्त बनेगा और सही अर्थों में नारी सुरक्षित और सफल रहेेगी। नारी और पुरूष एक-दूसरे के सहयोगी हैं न कि प्रतिद्वंदी।

 

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