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“झूठ के सौदागर हमेशा हारते हैं”-परमजीत सिंह सरना

सरना बंधुओ को मिली बड़ी कानूनी जीत, DSGMC चुनाव लड़ने के लिए धार्मिक पार्टी के तौर पर मान्यता बहाल की

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दिल्ली की अदालत द्वारा सरना बंधुओ के खिलाफ दायर बाला साहिब अस्पताल से जुड़े केसों को रद्द करने के आदेश दिए है। यह केस विरोधी गुट शिरोमणि अकाली दल दिल्ली (बादल) द्वारा तकरीबन 10 साल पहले लगाया था। जिसको मुद्दा बनाकर पिछले चुनावों की दिशा और दशा तय की गयी थी। दशकों पहले विरोधी गुटों द्वारा सरना बंधुओ पर बाला साहिब अस्पताल बेचने का आरोप लगाया गया था। जिसको कोर्ट ने निराधार बताते हुए निरस्त कर दिया। साथ ही एक दूसरे कोर्ट आदेशानुसार शिरोमणि अकाली दल दिल्ली को एक धार्मिक पार्टी के रूप में मान्यता देते हुए  दिल्ली सिख गुरूद्वारा मैनेजमेंट कमेटी (DSGMC) चुनावों में भाग लेने के लिए योग्य भी माना गया।

        जुड़वाँ केसों में शानदार जीत के बाद पार्टी प्रमुख परमजीत सिंह सरना ने विरोधियो को आड़े हाथों लेते हुए बताया कि दिल्ली गुरुद्वारा प्रबधंन कमेटी में जो लोग पन्थक लोगो के भागीदारी में अड़चनें लगा रहे थे, उनको अकालपुरख ने सच का आईना दिखा दिया।
    “श्री नानक देव व श्री राम,” के शब्दों को दोहराते हुए सरना ने कहा कि झूठ के सौदागर हमेशा हारते हैं और सच्चाई की हमेशा जीत होती है। पिछले 10 वर्षों से बादलों द्वारा दुष्प्रचार और निहित स्वार्थों का इस्तेमाल करते हुए शिरोमणि अकाली दल दिल्ली को झूठे आरोपों के लिए उकसाया और संगत को गुमराह किया कि हमने बाला साहिब अस्पताल परियोजना को निजी लोगो को बेच दिया था। परमजीत सिंह सरना ने कहा उनकी ओर से कुछ निहित स्वार्थों के साथ बादलों ने DSGMC आम चुनावों से पहले अपने समर्पित मीडिया प्लेटफर्मो पर इस झूठ को खूब फैलाया। अब माननीय अदालत ने अब उस फर्जी प्राथमिकी को रद्द करने और पुलिस को अपनी क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश देने के साथ बादल अस्पताल की परियोजना के मूल तोड़फोड़कर्ता के रूप में सामने आए ओर सत्य प्रबल हो गया है।
पार्टी प्रमुख सरना ने यह भी कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक अलग मामले में DSGMC चुनाव लड़ने के लिए योग्य एक धार्मिक समूह के रूप में उनकी पार्टी की मान्यता को बहाल करने का निर्देश दिया है।
       आगे उन्होंने कहा कि बादल दल के गंदे झूठ और दोहरे चरित्र का पर्दाफाश फिर हो गया है। वह 10 साल तक झूठ बोले उसके लिए वे माफी माँगे। दूसरी बात, उनके गंदे राजनीतिकरण पर लगाम लगने वाली है। राजनतिक पार्टी होकर भी इन्होंने हमारे धार्मिक जगहों को गंदा किया। हमारी माँग दिल्ली सरकार से भी है। जो बादल पर दबाव डालेगी कि वे स्पष्ट रूप से यह स्पष्ट करें कि उनके विधायकों, नगर पार्षदों ने पहले स्थान पर DSGMC की समानांतर सदस्यता कैसे रखी। सवाल का जवाब देने की जरूरत है।
         शिरोमणि अकाली दल दिल्ली प्रमुख ने अपनी पार्टी सदस्यों  को प्रतिज्ञा दिलवाई कि विरोधियों के विपरीत, दिल्ली की सिख संगत के सेवा के लिए चुने जाने पर DSGMC और धार्मिक संस्थानों में कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होने देगें।
        स्मरण रहे कि पिछली बार पाकिस्तान के ननकाना साहिब में परमजीत सिंह सरना को बादल ग्रुप के कारण 550सालां गुरूपर्व की अनुमति नहीं दी गई थी।
-भूपिंदर सिंह

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