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चीन के वर्चस्व को चुनौती देगा रिलायंस का मेगा सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट

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टेलीकॉम और रिटेल सेक्टर में झंडे गाड़ने के बाद, रिलायंस अब सोलर एनर्जी क्षेत्र की शक्ल बदलने जा रहा है। रिलायंस इंडस्ट्रीज की गुरूवार को हुई आम सालाना बैठक में मुकेश अंबानी ने अगले तीन वर्षों में एंड टू एंड रिन्यूएबल एनर्जी इकोसिस्टम पर 75 हजार करोड़ रू के निवेश की घोषणा की। चीन को टक्कर देने के लिए रिलायंस गुजरात के जामनगर में 5 हजार एकड़ में धीरूभाई अंबानी ग्रीन एनर्जी गीगा कॉम्पलेक्स बनाएगा।

                              भारत के सोलर एनर्जी मार्केट पर चीनी कंपनियों का कब्जा है। सोलर सेल, सोलर पैनल और सोलर माड्यूल्स की कुल मांग का करीब 80 फीसदी चीन से आयात होता है। कोविड से पहले,  वर्ष 2018-19 में देश में 2.16 अरब डॉलर का सोलर इक्विमेंट चीन से मंगवाया गया। ऐसा नही है कि भारत में सोलर उपकरण नही बनते पर चीनी माल के सामने वे टिक नही पाते क्योंकि चीनी उपकरण 30 से 40 प्रतिशत सस्ते बैठते हैं। इतना ही नही सोलर सेल बनने के काम में आने वाला पोलीसिलिकॉन मटेरियल के 64 फिसदी हिस्से पर भी चीन कंपनियां काबिज हैं।

                                                रिलायंस के मैदान में उतरने से स्थितियों बदलने की उम्मीद है। 2030 तक रिलायंस ने 100 गीगावॉट सोलर एनर्जी प्रोड्यूस करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए रिलायंस चार मेगा फैक्ट्री लगाएगा। जिनमें से एक सोलर मॉड्यूल फोटोवोल्टिक मॉड्यूल बनाएगी। दूसरी एनर्जी के स्टोरेज के लिए अत्याधुनिक एनर्जी स्टोरेज बैटरी बनाने का काम करेगी। तीसरी, ग्रीन हाइड्रोजन के प्रोडक्शन के लिए  एक इलेक्ट्रोलाइजर बनाएगी। चौथी हाइड्रोजन को एनर्जी में बदलने के लिए फ्यूल सेल बनाएगी।

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