गुण को देखो,तो हमेशा खुश रहोगे-मंजू जैन
हर व्यक्ति में कुछ न कुछ कमी होती है। इस सच्चाई को भी समझना होगा

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“महिला दिवस हरदिन है” इसीको ध्यान में रखते हुए www.dainikindia24X7.com ने एक सप्ताह का आयोजन किया है. जिसमें हर तबके की महिलाओं से हम हर दिन रूबरू होंगे जिन्होंने अपने कार्यक्षेत्र में एक मुकाम हासिल किया है। इसी कड़ी में आज हम मिलते हैं मंजू जैन से…….।
एक गृहणी होकर भी बचपन के अपने शौक को शादी के 35 साल के बाद भी अपनी रचनात्मकता को बरकरार रखना और उसे एक नया रूप देना एक शक्ति रूपा नारी को उजागर करता है। मंजू जैन ही वह कलाकार हैं जो इतने सालों के बाद भी दो-तीन बार अपनी पेंटिंग्स की प्रदर्शनी लगा चुकी हैं। वह हमारे समाज की सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं। जो हमेशा समय की कमी का बखान करती रहती हैं। जिंदगी के प्रति सकारात्मक सोच रखने वाली मंजू जैन से बातचीत की संध्या रानी ने…….
बचपन से ही मुझे आर्ट का बहुत शौक था। परिवार में भी सब इससे जुड़े हुए थे। हमेशा प्रकृति मुझे बहुत आकर्षित करती रहती थीं। नदी, पहाड़, हरियाली और सागर को देखकर मैं भाव विभोर हो जाती थी। जब स्कूल में थी तो पेंटिंग करती थी। लेकिन कभी उसमें करियर बनाने का ख्याल नहीं आया। शादी के बाद तो बिल्कुल घर गृहस्थी और बच्चे पालने में ही रह गई, पर उसमें भी समय निकालकर कुछ न कुछ कर ही लेती थी और अपने पति के काम में भी हाथ बंटाती थी। उनका अपना बिजनेस है। मैं आज जो भी हूँ और जो कुछ करती हूँ। उसमें मेरे पति का बहुत सहयोग है।
जहां तक महिलाओं का सवाल है तो हमारे समय में महिलाएं इतनी करियर कांशस नहीं होती थीं। आजकल की लड़कियां बहुत ज्यादा करियर कांशस हैं। यह एक अच्छी बात है, पर परिवार के प्रति भी अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए। एकल परिवार में कामकाजी महिलाओं को अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। आज सबसे दुख की बात है कि कोई भी लड़की संयुक्त परिवार में रहना ही नहीं चाहती है। जबकि दोनों की अपनी-अपनी खूबियां और कमियां हैं। इससे हम इंकार नहीं कर सकते हैं। फिर भी संयुक्त परिवार की अपनी एक विषेषता है। उसमें बच्चे सुरक्षित रहते हैं और घर की भी कोई देखभाल करने वाला होता है। बच्चे भी गलत संगत में नहीं जाते हैं। इसके साथ ही बच्चों में इमोशनल अटैचमेंट भी बहुत होता है। इसके कारण आगे चलकर माता-पिता को भी कोई परेशानी नही होती है। इस बात को लड़कियों को समझना होगा। और धैर्य भी धारण करना होगा।अगर रिश्ते निभाने हैं तो बहुत ही सोच समझकर चलना होगा। लड़कियों के मामले में एक मां का रोल बहुत बड़ा होता है। इन दिनों जो सीरियल टीवी पर दिखाया जा रहा है उसमें भी यही दिखाया जाता है कि लड़की को किसी से दबना नहीं चाहिए। यह सच है कि किसी से दबना नहीं चाहिए, पर बैलेंस बनाकर जरूर चलना चाहिए। लेट मैरिज होने से भी ये सब परेशानी हो रही है।
लड़का और लड़की दोनों दोषी होते हैं। कोई कम्प्रोमाइज करना नहीं चाहता है। ससुराल में कोई कुछ कह देता है तो फिर बात बिगड़ जाती है। इसकी सबसे बड़ी वजह अहंकार है। मैंने शादी के बाद ही अपनी सासू मां से सब कुछ सीखा है। डांट भी खाती थी। जैसे हमारी मां गलती होने पर डांटती थीं। उसी तरह वह भी करती थीं। इससे मेरा संबंध कभी खराब नहीं हुआ। इसके बारे में मैंने कभी भी पति से शिकायत नहीं की। मेरे पिताजी हमेशा कहते थे कि किसी के गुण को देखो, बुराई को नहीं, तो सदा खुश रहोगें।
अपने को खुश रखने के लिए महिलाओं को अपने मन से निगेटिव विचारों को जल्दी से निकाल देना चाहिए और अपने आपको किसी काम में व्यस्त कर लेना चाहिए। इसके अलावा किसी से उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। जितना कम उम्मीद रखेंगे उतना ही खुश रहेंगे। फिर किसी से दुखी नहीं होंगे। हर व्यक्ति में कुछ न कुछ कमी होती है। इस सच्चाई को भी समझना होगा।