दुनिया (International)देश (National)पर्यटनराज्य (State)साहित्यसिटी टुडे /आजकल
“कोमलता स्त्री की कमजोरी नहीं है, बल्कि यह एक विशेष गुण है”
URMU ने मनाया इंटरनेशनल वुमेन्स डे
👆भाषा ऊपर से चेंज करें
उत्तर रेलवे में कार्यरत महिला कर्मचारियों ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर एक समारोह का आयोजन कर इस दिन को धूमधाम से मनाया. इस अवसर पर भारतीय रेलवे में कार्यरत महिला कर्मचारियों से जुड़े मुद्दों पर जहां गहन चर्चा की गई, वहीं उनकी कई मांगों को भी जोरशोर से उठाया गया. इसके अलावा वरिष्ठ पत्रकार एवं जीवन संवाद पुस्तक के लेखक दयाशंकर मिश्र द्वारा रेलवे की महिला कर्मियों से संवाद कर रेलवे में उनके उल्लेखनीय योगदान पर भी चर्चा की गई.
उत्तरीय रेलवे मजदूर यूनियन की महिला विंग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन के ज्वॉइंट जनरल सेक्रेटी बीसी शर्मा ने महिला कर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि यूआरएमयू और एनएफआईआर ने अपनी महिला कर्मचारियों के लिए भारतीय रेलवे से कई अच्छे नियमों की रूपरेखा तैयार कर उन्हें अमलीजामा पहनाया. जैसे की महिला कर्मियों की मैटरनिटी लीव 80 दिन करवाई गई, रेल गाडि़यों के अंदर कोचों में उनके लिए अलग बर्थ उपलब्ध कराने, वर्किंग रेलवे कर्मचारी की मृत्यु होने पर उनकी पत्नी या बेटी को करुणामूल आधार पर नौकरी दिलवाने की दिशा में हमने कार्य किए. उन्होंने कहा कि इसी तरह यूआरएमयू की महिला विंग की जनरल सेक्रेटरी उर्मिला डोगरा ने महिला कर्मियों के उत्थान के लिए कई काम किए हैं. रेलवे के अंदर वर्किंग महिलाओं के सेक्शुअल हरासमेंट के खिलाफ भी कड़े नियम बनाने को लेकर यूनियन ने महत्वपूर्ण कदम उठाए.वहीं, एनएफआईआर के प्रवक्ता एवं यूआरएमयू के अध्यक्ष एनएस मलिक ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि संगठन ने रेस्ट शेल्टर, महिला ड्राइवरों और गार्ड के लिए सेपरेट अकोमेडोशन के अलावा हमारी कोशिश रही है कि मैटरनिटी लीव को थोड़ा और बढ़ाया जाए. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि URMU की तरफ से रेलवे की महिला कर्मचारियों के लिए बने नियमों पर एक बुकलेट तैयार की जा रही है, जिसके जल्द ही उन्हें दिया जाएगा, ताकि वह अपने हकों के बारे में पूरी जानकारी रख सकें.
इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित वरिष्ठ पत्रकार एवं जीवन संवाद पुस्तक के लेखक दयाशंकर मिश्र द्वारा रेलवे की सैंकड़ों महिला कर्मियों से विस्तृत संवाद किया गया. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के साथ ही आज सावित्रीबाई फुले की जयंती पर उन्हें भी याद करने का दिन हैं, जिन्होंने महिलाओं के लिए सबसे पहले शिक्षा की बात की. जब सावित्रीबाई फुले स्कूल जाया करती थीं, तो लोग उन पर कीचड़ फेंकते थे, क्योंकि उनका मानना था कि एक बेटी पढ़ेगी कैसे. उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे के सफल संचालन में महिलाओं की भूमिका के बारे में सबसे कम बातचीत होती है, लेकिन महिला कर्मियों के उल्लेखनीय योगदान की वजह से ही ये कारवां चल रहा है. हमें अपना नजरिया बदलने की जरूरत है. हम इस बात को समझें कि नारी शक्ति के बिना कोई भी देश, कोई भी समाज हमेशा अधूरा है. हमें यह समझने की जरूरत है कि कोमलता स्त्री की कमजोरी नहीं है, बल्कि यह एक विशेष गुण है और उसी की वजह से देश में प्रेम, अहिंसा और सदभावना जैसी विशेषताएं बची हुई हैं.
यूआरएमयू की महिला विंग की जनरल सेक्रेटरी उर्मिला डोगरा ने इस मौके पर महिला कर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि हम सभी महिलाओं को आगे आना चाहिए, आगे बढ़ना चाहिए और हर किसी का समर्थन करना चाहिए. हमें अपने अधिकारों के लिए बोलना चाहिए. अपनी सीमाओं को चुनौती दें, ताकि उनसे आगे बढ़कर अपना योगदान सभी को दिखाया जा सके.
इस कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद संजय सिंह की पत्नी श्रीमती अनीता सिंह, प्रिंसिपल सीपीओ (बड़ौदा हाउस) प्रोमिला एच भार्गव, नॉदर्न रेलवे सेंट्रल हॉस्पिटल की मेडिकल डायरेक्टर डॉ. अमिता जैन, मुख्य आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. रुश्मा टंडन भी विशेष रूप से उपस्थित थीं.