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आजादी की लड़ाई में भी सक्रिय रहीं अभिनेत्री दीना पाठक से मिलिए

मां और दादी बनकर लोगों के दिलों में बनाई जगह

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4 मार्च 1922 को गुजरात के अमरेली में पैदा हुईं अभिनेत्री दीना पाठक अब इस दुनिया में नहीं हैं। 11 अक्टूबर 2002 के दिन उन्होंने हमेशा के लिए अपनी आंखें मूंद ली थीं। सिनेमा प्रेमियों ने उन्हें कभी मां, तो कभी दादी के किरदार में फिल्मों में देखा। वह साल 1966 था, जब दीना ने अपने करियर की पहली हिंदी फिल्म ‘उसकी कहानी’ में काम किया था।

आगे उन्होंने सात हिन्दुस्तानी, देवदास, प्यार कोई खेल नहीं, घरवाली-बाहरवाली, परदेश, आईना, औलाद जैसी 100 से अधिक फिल्मों में काम करने वाली दीना एक मंझी हुई कलाकार रहीं। बावजूद इसके उन्हें अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा किराए के घर में गुजारना पड़ा। दीना पाठक स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भी काफी सक्रिय थीं। इस कारण उन्हें मुंबई की सेंट जेवियर्स कॉलेज से उन्हें निकाल दिया गया था। अभिनय के सफ़र के बीच दीना ने बलदेव पाठक को अपना हमसफ़र बनाया और रत्ना पाठक शाह और सुप्रिया पाठक को जन्म दिया ।

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